Wednesday, May 10, 2017

|| साईं बाबा की मूर्ति का राज ||

|| साईं बाबा की मूर्ति का राज  ||


शिरडी के संत साईं बाबा को गुरू का दर्जा का प्राप्त है इसलिए साईं मंदिर में गुरूवार को बड़ी संख्या में श्रद्घालु बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं। अगर आप कभी साईं मंदिर में गए हैं या उनकी मूर्तियों को देखा तो जरा ध्यान करके सोचिए हर मूर्ति में साईं बाबा एक बुजुर्ग की तरह नजर आते हैं जो एक ऊंचे आसन पर पैर पर पैर चढ़ाकर बैठे होते हैं।

साईं बाबा की ऐसी मूर्तियों के पीछे कारण यह है कि साईं बाबा प्रमुख स्थान शिरडी में साईं बाबा जो मूर्ति है उसी के अनुरूप सभी मूर्तियों का निर्माण हुआ है। लेकिन शिरडी में साईं बाबा की मूर्ति इस प्रकार कैसे बनी इसकी एक बेहद ही रोचक और रहस्यमयी कहानी है जो कम लोग ही जानते हैं।

साईं बाबा ने अपने जीवन का बड़ा भाग शिरडी में बिताया और यहीं पर साईं ने अपनी अंतिम सांस ली। इसलिए शिरडी को साईं का धाम माना जाता है। साईं बाबा के बारे में कई ऐसी कथाएं मिलती हैं जिसके अनुसार अपने जीवनकाल में साईं ने बड़े ही अद्भुत चमत्कार दिखाए थे।

साईं भक्त मानते हैं कि शरीर त्याग करने के बाद भी साईं उनके बीच हैं और संकट के समय भक्तों की पुकार पर किसी चमत्कार की तरह उन्हें संकट से उबाड़ लेते हैं। साईं की मूर्ति के बारे में भी माना जाता है कि इसका निर्माण भी एक चमत्कार की तरह ही हुआ था।

ऐसी कथा है कि साईं बाबा की महासामधि के बुट्टी वाडा में उनकी तस्वीर रखकर उनकी पूजा होती थी। 1954 तक इसी तरह साईं बाब की पूजा होती थी। लेकिन एक दिन अचानक ही इटली से मुंबई बंदरगाह पर आए। लेकिन इस मार्बल को किसने और क्यों मुंबई भेजा यह किसी को पता नहीं।

शिरडी संस्थान ने मार्बल को साईं की मूर्ति बनाने के लिए ले लिए। इसके बाद मूर्ति बनाने का काम वसंत तालीम नाम के मूर्तिकार को सौंपा गया। ऐसी मान्यता है कि मूर्तिकार ने साईं बाबा से प्रार्थना की आशीर्वाद दीजिए की आपकी मूर्ति मैं आपकी छवि जैसी बना सकूं। कहते हैं साईं बाबा ने मूर्तिकार को दर्शन देकर अपनी छवि दिखाई और उसी छवि को देखकर मूर्तिकार ने साईं की मूर्ति का निर्माण किया जो शिरडी के समाधि मंदिर में विराजमान है। और साईं की यह छवि पूरी दुनिया में साईं भक्तों की आस्था का प्रीतक है।

साईं बाबा की जो मूर्ति आप शिरडी में देखते हैं उस मूर्ति को विजया दशमी के दिन मंदिर में स्थापित किया गया था। यह मूर्ति का आकार 4 फुट 5 इंच है। इस मंदिर में साईं बाबा का ख्याल एक बुजुर्ग साधु की तरह रखा जाता है।

हर दिन साईं बाबा को सुबह स्नान करवाया जाता है और दिन में चार बार उनके वस्त्र बदले जाते हैं। इन्हें नाश्ता और खाना भी खिलाया जाता है। रात के समय मच्छरदानी लगाया जाता है ताकि बाबा का मच्छर काटे। पानी का गिलास भी साईं बाबा के पास रखा जाता है।

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