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Thursday, February 22, 2018

श्री साईं बाबा व्रत कथा और पूजन विधि

साईंबाबा के पूजन :- 

साईंबाबा के पूजन के लिए सभी दिनों में  गुरुवार का दिन सर्वोत्तम माना जाता हैं. साईं व्रत कोई भी कर सकतें हैं चाहे बच्चा हो या बुजुर्ग या महिला .ये व्रत कोई भी जाती-पति के भेद भावः बिना कोई भी व्यक्ति कर सकता है.शिर्डी साईं बाबा  वैसे भी हम सभी जानते हैं कि साईं बाबा जात-पात को नहीं मानते थे और उनका कहना था कि इश्वर  तो एक ही  है. सबका मालिक एक .

ये व्रत कोई भी गुरूवार को साईं बाबा का नाम ले कर शुरू किया जा सकता. सुबह या शाम को साईं बाबा के फोटो की पूजा करना किसी आसन पर पीला या लाल कपडा बिछा कर उस पर साईं बाबा का फोटो रख कर स्वच्छ पानी से पोछ कर चंदन या कुमकुम  का तिलक लगाना चाहिये और उन पर पीला फूल या हार चढाना चाहिये अगरबत्ती और दीपक जलाकर साईं व्रत की कथा पढ़ना चाहिये और साईं बाबा का स्मरण करना चाहिये और प्रसाद बाटना चाहिये प्रसाद में कोई भी फलाहार या मिठाई बाटी जा सकती है. अगर सं भव हो तो साईं बाबा के मंदिर में जाकर भक्तिभाव से बाबा के दर्शन करना चाहिए, और बाबा साईं के भजनों में भक्तिमय रहना चाहिए .

शिरडी के साई बाबा के व्रत की संख्या 9 हो जाने पर अंतिम व्रत के दिन पांच गरीब व्यक्तियों को भोजन और सामर्थ्य अनुसार दान देना चाहिए. इसके साथ ही साई बाबा की कृ्पा का प्रचार करने के लिये 7, 11, 21 साई पुस्तकें या साईं सत्चरित्र , अपने आस-पास के लोगों में बांटनी चाहिए. इस प्रकार इस व्रत को समाप्त किया जाता है. इसे उददापन के नाम से भी जाना जाता है.


साईं व्रत कथा :- 

कोकिला बहन और उनके पति महेशभाई शहर में रहते थे. दोनों में एक-दुसरे के प्रति प्रेम-भाव था, परन्तु महेशभाई का स्वाभाव झगडालू था. बोलने की तमीज ही न थी. लेकिन कोकिला बहन बहुत ही धार्मिक स्त्री थी, भगवान पर विश्वास रखती एवं बिना कुछ कहे सब कुछ सह लेती. धीरे-धीरे उनके पति का धंधा-रोजगार ठप हो गया. कुछ भी कमाई नहीं होती थी. महेशभाई अब दिन-भर घर पर ही रहते और अब उन्होंने गलत राह पकड़ ली. अब उनका स्वभाव पहले से भी अधिक चिडचिडा हो गया.

 एक दिन दोपहर का समय था .एक वृद्ध महाराज दरवाजे पर आकार खड़े हो गए. चेहरे पर गजब का तेज था और आकर उन्होंने दल-चावल की मांग की. कोकिला बहन ने दल-चावल दिये और दोनों हाथों से उस वृद्ध बाबा को नमस्कार किया, वृद्ध ने कहा साईं सुखी रखे. कोकिला बहन ने कहा महाराज सुख मेरी किस्मत में नहीं है और अपने दुखी जीवन का वर्णन किया.

महाराज ने श्री साईं के व्रत के बारें में बताया 9 गुरूवार (फलाहार) या एक समय भोजन करना, हो सके तो बेटा साईं मंदिर जाना, घर पर साईं बाबा की 9 गुरूवार पूजा करना, साईं व्रत करना और विधि से उद्यापन करना भूखे को भोजन देना, साईं व्रत की किताबें 7, 11, 21 यथाशक्ति लोगों को भेट देना और इस तरह साईं व्रत का फैलाव करना. साईबाबा तेरी सभी मनोकामना पूर्ण करेंगे, लेकिन साईबाबा पर अटूट श्रद्धा रखना जरुरी है.

कोकिला बहन ने भी गुरुर्वार का व्रत लिया 9 वें गुरूवार को गरीबों को भोजन दिया से व्रत की पुस्तकें भेट दी .उनके घर से झगडे दूर हुए, घर में बहुत ही सुख शांति हो गई, जैसे महेशभाई का स्वाभाव ही बदल गया हो. उनका धंधा-रोजगार फिर से चालू हो गया. थोड़े समय में ही सुख समृधि बढ़ गई. दोनों पति पत्नी सुखी जीवन बिताने लगे एक दिन कोकिला बहन के जेठ जेठानी सूरत से आए. बातों-बातों में उन्होंने बताया के उनके बच्चें पढाई नहीं करते परीक्षा में फ़ेल हो गए है. कोकिला बहन ने 9 गुरूवार की महिमा बताई और कहा कि साईं बाबा के भक्ति से बच्चे अच्छी तरह अभ्यास कर पाएँगे लेकिन इसके लिए साईं बाबा पर विश्वास रखना ज़रूरी है. साईं सबको सहायता करते है. उनकी जेठानी ने व्रत की विधि बताने के लिए कहा. कोकिला बहन ने कहा उन्हें वह सारी बातें बताई जो खुद उन्हें वृद्ध महाराज ने बताई थी.

सूरत से उनकी जेठानी का थोड़े दिनों में पत्र आया कि उनके बच्चे साईं व्रत करने लगे है और बहुत अच्छे तरह से पढ़ते है. उन्होंने भी व्रत किया था और व्रत की किताबें जेठ के ऑफिस में दी थी. इस बारे में उन्होंने लिखा कि उनकी सहेली की बेटी शादी साईं व्रत करने से बहुत ही अच्छी जगह तय हो गई. उनके पडोसी का गहनों का डिब्बा गुम हो गया, अब वह महीने के बाद गहनों का डिब्बा न जाने कहां से वापस मिल गया. ऐसे कई अद्भुत चमत्कार हुए था.

कोकिला बहन ने साईं बाबा की महिमा महान है वह जान लिया था. हे साईं बाबा जैसे सभी लोगों पर प्रसन्न होते है, वैसे हम पर भी होना.

Wednesday, May 10, 2017

|| साईं बाबा की मूर्ति का राज ||

|| साईं बाबा की मूर्ति का राज  ||


शिरडी के संत साईं बाबा को गुरू का दर्जा का प्राप्त है इसलिए साईं मंदिर में गुरूवार को बड़ी संख्या में श्रद्घालु बाबा के दर्शनों के लिए आते हैं। अगर आप कभी साईं मंदिर में गए हैं या उनकी मूर्तियों को देखा तो जरा ध्यान करके सोचिए हर मूर्ति में साईं बाबा एक बुजुर्ग की तरह नजर आते हैं जो एक ऊंचे आसन पर पैर पर पैर चढ़ाकर बैठे होते हैं।

साईं बाबा की ऐसी मूर्तियों के पीछे कारण यह है कि साईं बाबा प्रमुख स्थान शिरडी में साईं बाबा जो मूर्ति है उसी के अनुरूप सभी मूर्तियों का निर्माण हुआ है। लेकिन शिरडी में साईं बाबा की मूर्ति इस प्रकार कैसे बनी इसकी एक बेहद ही रोचक और रहस्यमयी कहानी है जो कम लोग ही जानते हैं।

साईं बाबा ने अपने जीवन का बड़ा भाग शिरडी में बिताया और यहीं पर साईं ने अपनी अंतिम सांस ली। इसलिए शिरडी को साईं का धाम माना जाता है। साईं बाबा के बारे में कई ऐसी कथाएं मिलती हैं जिसके अनुसार अपने जीवनकाल में साईं ने बड़े ही अद्भुत चमत्कार दिखाए थे।

साईं भक्त मानते हैं कि शरीर त्याग करने के बाद भी साईं उनके बीच हैं और संकट के समय भक्तों की पुकार पर किसी चमत्कार की तरह उन्हें संकट से उबाड़ लेते हैं। साईं की मूर्ति के बारे में भी माना जाता है कि इसका निर्माण भी एक चमत्कार की तरह ही हुआ था।

ऐसी कथा है कि साईं बाबा की महासामधि के बुट्टी वाडा में उनकी तस्वीर रखकर उनकी पूजा होती थी। 1954 तक इसी तरह साईं बाब की पूजा होती थी। लेकिन एक दिन अचानक ही इटली से मुंबई बंदरगाह पर आए। लेकिन इस मार्बल को किसने और क्यों मुंबई भेजा यह किसी को पता नहीं।

शिरडी संस्थान ने मार्बल को साईं की मूर्ति बनाने के लिए ले लिए। इसके बाद मूर्ति बनाने का काम वसंत तालीम नाम के मूर्तिकार को सौंपा गया। ऐसी मान्यता है कि मूर्तिकार ने साईं बाबा से प्रार्थना की आशीर्वाद दीजिए की आपकी मूर्ति मैं आपकी छवि जैसी बना सकूं। कहते हैं साईं बाबा ने मूर्तिकार को दर्शन देकर अपनी छवि दिखाई और उसी छवि को देखकर मूर्तिकार ने साईं की मूर्ति का निर्माण किया जो शिरडी के समाधि मंदिर में विराजमान है। और साईं की यह छवि पूरी दुनिया में साईं भक्तों की आस्था का प्रीतक है।

साईं बाबा की जो मूर्ति आप शिरडी में देखते हैं उस मूर्ति को विजया दशमी के दिन मंदिर में स्थापित किया गया था। यह मूर्ति का आकार 4 फुट 5 इंच है। इस मंदिर में साईं बाबा का ख्याल एक बुजुर्ग साधु की तरह रखा जाता है।

हर दिन साईं बाबा को सुबह स्नान करवाया जाता है और दिन में चार बार उनके वस्त्र बदले जाते हैं। इन्हें नाश्ता और खाना भी खिलाया जाता है। रात के समय मच्छरदानी लगाया जाता है ताकि बाबा का मच्छर काटे। पानी का गिलास भी साईं बाबा के पास रखा जाता है।

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