Showing posts with label Shankar Lord shiva. Show all posts
Showing posts with label Shankar Lord shiva. Show all posts

Monday, March 25, 2019

शिव पुराण कथा के लाभ और महत्व | shiv-puran-importance-benifits




शिव पुराण क्या है?

'शिव पुराण' का सम्बन्ध शैव मत से है। शिव पुराण में भगवान शंकर के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। शिवमहापुराण में भगवान शिव और देवी पार्वती के बारे में और उनकी गाथा का विवरण पूर्ण रूप से दिया गया है।

शिव पुराण में शिव की महिमा

शिवपुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन और भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान है।

शिव पुराण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण

शिव - जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।

शिव पुराण में खास

इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। किन्तु 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।

शिव पुराण में श्लोक और स्कंध-

इसमें भगवान शिव और देवी पार्वती की गाथा का पूर्ण विवरण है जो कुल 12 स्कंध भागों में बंटा हुआ है। शिवपुराण के हर स्कंध में शिव के अलग-अलग रूपों और उसकी माहिमा आदि का वर्णन है। इस पुराण में 2 4 ,000 श्लोक है तथा इसके क्रमश: 6 खण्ड हैं - 1. विद्येश्वर संहिताच; 2. रुद्र संहिता; 3. कोटिरुद्र संहिता; 4. उमा संहिता; 5. कैलास संहिता; 6. वायु संहिता।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

1. शिवपुराण के पहले स्कंध में शिवपुराण की महिमा का वर्णन है। 2.शिवपुराण के दूसरे स्कंध में शिवलिंग की पूजा और उसके प्रकार का वर्णन है जिससे विद्येश्वर संहिता नाम से जाना जाता है। 3. शिवपुराण के तीसरे स्कंध के पार्वती खंड में शिव-पार्वती की कथा का वर्णन है। 4. शिवपुराण के चौथे स्कंध कुमार खंड में कार्तिकेय भगवान की कथा का वर्णन है।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

5. शिवपुराण के पांचवे स्कंध युद्ध खंड में शिव जी द्वारा त्रिपुरासुर वध की कथा का वर्णन है। 6. शिवपुराण के छठे स्कंध शतरुद्रसंहिता में शिव के अवतारों और शिव की मूर्तियों का वर्णन है। 7. शिवपुराण के सातवें स्कंध कोटि रुद्र संहिता में द्वादश ज्योतिर्लिंग और शिव सहस्त्रनाम का वर्णन है।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

8. शिवपुराण के आठवे स्कंध उमा संहिता में मृत्यु और नरकों और क्रियायोग का वर्णन है। 9. शिवपुराण के नवें स्कंध वायवीय संहिता पूर्व खंड में शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप का वर्णन है। 10. शिवपुराण के दसवे स्कंध वायवीय संहिता के उत्तरखंड में शिव धर्म और शिव-शिवा की विभूतियों का वर्णन है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

पृथ्वी पर हर व्यक्ति किसी भी काम को करने से पहले उसके लाभ और हानि के बारे में सोचता है। हर व्यक्ति कार्य को करने से प्राप्त लक्ष्य के बारे में सोचकर तभी कार्य करता है। शिवपुराण के आरंभ में पुराण विशेष की महिमा और उसके पढ़ने की विधि के बारे में जानकारी दी गयी है। आईये हम आपको यह बतायेंगे कि शिव पुराण को पढ़ने से क्या लाभ होता है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ता है उससे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। - अगर किसी व्यक्ति से अनजाने या जान-बूझकर कोई पाप हो जाए तो तो अगर वो शिवपुराण को पड़ने लगता है तो उसका घोर से घोर पाप से छुटकारा मिल जाता है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ने लगते है उनके मृत्यु के बाद शिव के गण लेने आते हैं। - सावन में शिव पुराण का पाठ करने से उसका फल बहुत ही सुखदायी होता है।

For medical and educational help, we are a helping hand. For more info, visit us at www.radhemaa.com

                                                                                                                                                                                                              Source:https://bit.ly/2JFafK8

Monday, March 18, 2019

शिव और कृष्णा के भयानक युद्ध की कथा ।



हिंदू धर्म में कई ऐसी गाथाएं है जिसमें देवताओं की महाशक्ति का बखान कियागया है इसमें से कई गाथाएं तो आपने सुनी होगी लेकिन  कुछ ऐसी भी है जो आपने आज तक नहीं सुनी होगी ऐसी ही एककथा है महादेव और श्रीकृष्ण के युद्ध की जिसमें एक तरफ एक देवों के देव और महा शक्तिमान भगवान शंकर और दूसरीतरफ से महा विष्णु का साक्षर रूप श्री कृष्ण तो इसका नतीजा क्या निकला आइए जानते है War Between Shiv vs Krishna
दरअसल एक समय एक दैत्य राज बाली था और इसके कई पुत्र था जिसमें सबसे बड़े पुत्र का नाम बाणासुर था बाणासुरबचपन से ही शक्तिशाली था और उसे सबसे शक्तिशाली बनने की महत्वकांक्षा थी इसलिए उसने महादेव को अपनाआराध्य मान लिया था घोर तपस्या कर उसने महादेव शंकर भगवान को प्रसन्न कर लिया शंकर भगवान ने भी इसेसहस्त्रबाहु और महाशक्ति का वरदान दिया बाणासुर ने भी मौके का फायदा उठाकर उनसे मांगा कि उसे जब भी जरूरतपड़े तो  स्वयं उसकी मदद करें शंकर भगवान भी मान गए |

विश्वामित्र और अप्सरा मेनका की प्रेम कथा

इसके बाद तो बाणासुर को सबसे शक्तिशाली मानने लगा तब शंकर भगवान बाणासुर को चेतावनी दी की  वह इनशक्तियों का घमंड ना करें और जब उसके माल का ध्वज गिर जाएगा तब उसकी मृत्यु नजदीक होगी तब बाणासुर की एकपुत्री उषा ने अपने सपने में एक सुंदर पुरुष को देखा और उस पर मोहित हो गई उसने यह बात अपनी सखी चित्रलेखाबताया तो वह नींद में ही उस पुरुष को उठाकर  महल में ले आई तब उन्हें पता चला कि वह पुरुष श्री कृष्ण का पौत्र अनिरुद्ध था War Between Shiv vs Krishna

अनिरुद्ध जी उषा पर पर मोहित हो गया और दोनों ने उसी समय विवाह कर लिया जब यह बात बाणासुर को पता चला तोउसने अनिरुद्ध और उषा को बंदी बना लिया इस बात का पता चलने पर भगवान श्री कृष्ण ने भी बाणासुर के महल परहमला कर दिया श्रीकृष्ण ने सबसे पहले बाणासुर के महल पर लगे ध्वज को अपने वान से तोड़ दिया बाणासुर की सेनाश्रीकृष्ण की नारायणी सेना के सामने नहीं टिक पा रही थी तब बाणासुरभी युद्ध में कूद पड़ा भगवान शंकर के  वरदान केकारण  बाणासुर महा शक्तिमान बन गया था लेकिन भगवान श्री हरि विष्णु के साक्षात रूप श्री कृष्ण से उसका कोईमुकाबला नहीं था
श्रीकृष्ण का हर बार बाणासुर से कहीं ज्यादा शक्तिशाली था बाणासुर को अपनी हार दिखने लगी तब उसने शंकर भगवानको  युद्ध में लड़ने के लिए बुलाया इस तरह भगवान शंकर और श्रीकृष्ण ने महा युद्ध शुरू हुआ जो कई दिनों तक चला तबश्री कृष्ण ने शंकर भगवान से कहा कि हे महादेव अगर वह अधर्मी बाणासुर की तरफ से लड़ेंगे तो वह धर्म की स्थापना नहींकर पाएंगे इसका कोई रास्ता बताएं तब भगवान शंकर ने श्रीकृष्ण से जुरुमनास्त्र चलाने को कहा इस  अस्त्र से भगवानशंकर निद्रा में चले गए तब श्री कृष्ण ने सुदर्शन चक्र से बाणासुर की चार भुजाएं छोड़कर बाकी सारे  काट दिए तब तकशंकर भगवान नींद से जाग गए और श्रीकृष्ण बाणासुर का वध करने से रोक दिया

कुंभकर्ण से जुडी कुछ अनसुनी रोचक बातें

तो इस तरह से महादेव और श्रीकृष्ण की महाशक्ति का टकराव War Between Shiv vs Krishna पूरी सृष्टि ने देखा सबदेवता यह सब देख रहे थे और उन्हें इस युद्ध से पूरी सृष्टि का विनाश नजर  रहा था इस टकराव की ऊर्जा ने तो तीनोंलोकों को हिलाकर रख दिया था तब बाणासुर का घमंड भी टूट गया और उसको अपनी भूल महसूस हुई और उसने युद्धरोकने का आह्वान किया और श्रीकृष्ण और महादेव से माफी मांगी उसके बाद बाणासुर ने अनिरुद्ध और उषा को भी छोड़दिया इस तरह सारे देवताओं ने दो महाशक्तियों का टकराव देखा और सबने यह महसूस किया कि  जीन शक्तियों से यहसृष्टि बनी है उसे मिटाने में महाशक्ति को बस कुछ ही क्षण लगेंगे

For medical and educational help, visit us at www.radhemaa.com

                                                                                                                                                                                                                    Source:https://bit.ly/2Y5iouH
\

Monday, March 11, 2019

आइए जानें, शिव के जन्म की कहानी |


हिंदू धर्म में 18 पुराण हैं। सभी पुराण हिंदू भगवानों की कहानियां बताते हैं। कुछ समान बातों के अलावे सभी कुछ हद तक अलग-अलग कहानियां बयां करते हैं। इसमें त्रिदेव (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) के जन्म के साथ ही देवताओं की भी कहानियां सम्मिलित हैं। वेदों में भगवान को निराकार रूप बताया है जबकि पुराणों में त्रिदेव सहित सभी देवों के रूप का उल्लेख होने के साथ ही उनके जन्म की कहानियां भी हैं
भगवान शिव को ‘संहारक’ और ‘नव का निर्माण’ कारक माना गया है। अलग-अलग पुराणों में भगवान शिव और विष्णु के जन्म के विषय में कई कथाएं प्रचलित हैं। शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव को स्वयंभू (सेल्फ बॉर्न) माना गया है जबकि विष्णु पुराण के अनुसार भगवान विष्णु स्वयंभू हैं। शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण के अनुसार ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए जबकि शिव भगवान विष्णु के माथे के तेज से उत्पन्न हुए बताए गए हैं। विष्णु पुराण के अनुसार माथे के तेज से उत्पन्न होने के कारण ही शिव हमेशा योगमुद्रा में रहते हैं
शिव के जन्म की कहानी हर कोई जानना चाहता है। श्रीमद् भागवत के अनुसार एक बार जब भगवान विष्णु और ब्रह्मा अहंकार से अभिभूत हो स्वयं को श्रेष्ठ बताते हुए लड़ रहे थे तब एक जलते हुए खंभे से जिसका कोई भी ओर-छोर ब्रह्मा या विष्णु नहीं समझ पाए, भगवान शिव प्रकट हुए
विष्णु पुराण में वर्णित शिव के जन्म की कहानी शायद भगवान शिव का एकमात्र बाल रूप वर्णन है। यह कहानी बेहद मनभावन है। इसके अनुसार ब्रह्मा को एक बच्चे की जरूरत थी। उन्होंने इसके लिए तपस्या की। तब अचानक उनकी गोद में रोते हुए बालक शिव प्रकट हुए। ब्रह्मा ने बच्चे से रोने का कारण पूछा तो उसने बड़ी मासूमियत से जवाब दिया कि उसका नाम ‘ब्रह्मा’ नहीं है इसलिए वह रो रहा है. तब ब्रह्मा ने शिव का नाम ‘रूद्र’ रखा जिसका अर्थ होता है ‘रोने वाला’। शिव तब भी चुप नहीं हुए। इसलिए ब्रह्मा ने उन्हें दूसरा नाम दिया पर शिव को नाम पसंद नहीं आया और वे फिर भी चुप नहीं हुए। इस तरह शिव को चुप कराने के लिए ब्रह्मा ने 8 नाम दिए और शिव 8 नामों (रूद्र, शर्व, भाव, उग्र, भीम, पशुपति, ईशान और महादेव) से जाने गए। शिव पुराण के अनुसार ये नाम पृथ्वी पर लिखे गए थे
शिव के इस प्रकार ब्रह्मा पुत्र के रूप में जन्म लेने के पीछे भी विष्णु पुराण की एक पौराणिक कथा है। इसके अनुसार जब धरती, आकाश, पाताल समेत पूरा ब्रह्माण्ड जलमग्न था तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश (शिव) के सिवा कोई भी देव या प्राणी नहीं था। तब केवल विष्णु ही जल सतह पर अपने शेषनाग …..पर लेटे नजर आ रहे थे। तब उनकी नाभि से कमल नाल पर ब्रह्मा जी प्रकट हुए। ब्रह्मा-विष्णु जब सृष्टि के संबंध में बातें कर रहे थे तो शिव जी प्रकट हुए। ब्रह्मा ने उन्हें पहचानने से इनकार कर दिया। तब शिव के रूठ जाने के भय से भगवान विष्णु ने दिव्य दृष्टि प्रदान कर ब्रह्मा को शिव की याद दिलाई। ब्रह्मा को अपनी गलती का एहसास हुआ और शिव से क्षमा मांगते हुए उन्होंने उनसे अपने पुत्र रूप में पैदा होने का आशीर्वाद मांगा। शिव ने ब्रह्मा की प्रार्थना स्वीकार करते हुए उन्हें यह आशीर्वाद प्रदान किया। कालांतर में विष्णु के कान के मैल से पैदा हुए मधु-कैटभ राक्षसों के वध के बाद जब ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना शुरू की तो उन्हें एक बच्चे की जरूरत पड़ी और तब उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद ध्यान आया। अत: ब्रह्मा ने तपस्या की और बालक शिव बच्चे के रूप में उनकी गोद में प्रकट हुए
For medical and educational help, we are a helping hand. For more info, visit us at www.radhemaa.com
Surce:https://bit.ly/2EOmYEK

Monday, February 4, 2019

शिव का गृहस्थ-जीवन उपदेश |


एक बार पार्वती जी भगवान शंकर जी के साथ सत्संग कर रही थीं। उन्होंने भगवान भोलेनाथ से पूछा, गृहस्थ लोगों का कल्याण किस तरह हो सकता है?

शंकर जी ने बताया, सच बोलना, सभी प्राणियों पर दया करना, मन एवं इंद्रियों पर संयम रखना तथा सामर्थ्य के अनुसार सेवा-परोपकार करना कल्याण के साधन हैं। जो व्यक्ति अपने माता-पिता एवं बुजुर्गों की सेवा करता है, जो शील एवं सदाचार से संपन्न है, जो अतिथियों की सेवा को तत्पर रहता है, जो क्षमाशील है और जिसने धर्मपूर्वक धन का उपार्जन किया है, ऐसे गृहस्थ पर सभी देवता, ऋषि एवं महर्षि प्रसन्न रहते हैं।

भगवान शिव ने आगे उन्हें बताया, जो दूसरों के धन पर लालच नहीं रखता, जो पराई स्त्री को वासना की नजर से नहीं देखता, जो झूठ नहीं बोलता, जो किसी की निंदा-चुगली नहीं करता और सबके प्रति मैत्री और दया भाव रखता है, जो सौम्य वाणी बोलता है और स्वेच्छाचार से दूर रहता है, ऐसा आदर्श व्यक्ति स्वर्गगामी होता है।

भगवान शिव ने माता पार्वती को आगे बताया कि मनुष्य को जीवन में सदा शुभ कर्म ही करते रहना चाहिए। शुभ कर्मों का शुभ फल प्राप्त होता है और शुभ प्रारब्ध बनता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है, वैसा ही प्रारब्ध बनता है। प्रारब्ध अत्यंत बलवान होता है, उसी के अनुसार जीव भोग करता है। प्राणी भले ही प्रमाद में पड़कर सो जाए, परंतु उसका प्रारब्ध सदैव जागता रहता है। इसलिए हमेशा सत्कर्म करते रहना चाहिए।
 
For medical and educational help, we are a helping hand. For more information, visit us at www.radhemaa.com

                                                                                                                                                                                           Source:https://bit.ly/2BcUCTJ