Monday, March 4, 2019

महाशिवरात्रि का महत्त्व |



फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी के दिन शिव-रात्रि का यह पर्व बहुत ही धूम-धाम से पूरे भारत देश में मनाया जाता है. इतिहास के शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि जब सृष्टि का प्रारंभ होने वाला था तो इसी दिन मध्य-रात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतार हुआ था.

महाशिवरात्रि क्यों मनाई जाती है ?
एक बार ऐसा हुआ था की शिव रात्रि के दिन प्रदोष के वक्त भगवान शिव तांडव कर रहे थे और तांडव करते हुए ही उन्होंने ब्रह्मांड को अपनी तीसरे नेत्र की ज्वाला से विश्व को समाप्त कर देते. इसलिए इसी दिन को महा शिवरात्रि अथवा कालरात्रि के रूप से मनाया जाता है.
कई जगह पर तो यह चर्चा भी होती है की इसी दिन भगवान शिव का विवाह भी हुआ था. तीनों भुवनों की अपार सुन्दरी और शीलवती गैरों को अर्धांगिनी बनाने वाले भगवान शिवजी प्रेतों व पिशाचों के बीच घिरे रहते हैं.
उनका जो रूप है वो सबसे अजीब है. शरीर (बॉडी) पर सम्सानों की भस्म है, उनके गले में सर्पो की माला, कंठ में विष, जटाओ में पावन-गंगा और माथे में प्रलयंकर ज्वाला है.
शिवजी बैल को अपना वाहन के रूप में प्रोयोग करते है. शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते है और धन-सम्पत्ति प्रदान करते है.
पूरे साल में 12 शिव-त्योहर होते है जिसमे से एक महाशिवरात्रि को सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है.
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                                                                                                                                            Source:https://bit.ly/2GYX9FC

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