Monday, January 7, 2019

श्री गणेशजी की कहानी ।


                                                           श्री गणेशजी की कहानी ।

एक दिन पारवती माता स्नान करने के लिए गयी लेकिन वहां पर कोई भी रक्षक नहीं था। इसलिए उन्होंने चंदन के पेस्ट से एक लड़के को अवतार दिया और उसका नाम रखा गणेश। माता पारवती नें गणेश से आदेश दिया की उनकी अनुमति के बिना किसी को भी घर के अंदर ना आने दिया जाये।
जब शिव जी वापस लौटे तो उन्होंने देखा की द्वार पर एक एक बालक खड़ा है। जब वे अन्दर जाने लगे तो उस बालक नें उन्हें रोक लिया और नहीं जाने दिया। यह देख शिवजी क्रोधित हुए और अपने सवारी बैल नंदी को उस बालक से युद्ध करने को कहाँ। पर युद्ध में उस छोटे बालक नें नंदी को हरा दिया। यह देख कर भगवान शिव जी नें क्रोधित हो कर उस बाल गणेश के सर को काट दिया।
अब माता पारवती वापस लौटी तो वो बहुत दुखी हुई और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी। शिवजी को जब पता चला की वह उनका स्वयं का पुत्र था तो उन्हें भी अपनी गलती का एहसास हुआ। शिवजी नें पारवती को बहुत समझाने का कोशिश किया पर वह नहीं मानी और गणेश का नाम लेते लेते और दुखित होने लगी।
अंत में माता पारवती नें क्रोधित हो कर शिवजी को अपनी शक्ति से गणेश को दोबारा जीवित करने के लिए कहा। शिवजी बोले – हे पारवती में गणेश को जीवित तो कर सकता हूँ पर किसी भी अन्य जीवित प्राणी के सीर को जोड़ने पर ही। माता पारवती रोते-रोते बोल उठी – मुझे अपना पुत्र किसी भी हाल में जीवित चाहिए।
यह सुनते ही शिवजी नें नंदी को आदेश दिया – जाओ नंदी इस संसार में जिस किसी भी जीवित प्राणी का सीर तुमको मिले काट लाना। जब नंदी सीर खोज रहा था तो सबसे पहले उससे एक हाथी दिखा तो वो उसका सीर काट कर ले आया। भगवान शिव नें उस सीर को गणेश के शारीर से जोड़ दिया और गणेश को जीवन दान दे दिया। शिवजी नें इसीलिए गणेश जी का नाम गणपति रखा और बाकि सभी देवताओं नें उन्हें वरदान दिया की इस दुनिया में जो भी कुछ नया कार्य करेगा पहले !जय श्री गणेश को याद करेगा ||
For any medical and Educational Help, we are a Helping hand... Please visit our website on www.radhemaa.com
                                                                                                                             Source:https://bit.ly/2SI72cT

No comments: