Tuesday, January 22, 2019

श्री राधा कृष्ण प्रेम इतना सच्चा क्यों था?


यह सब जानते है , भगवान कृष्ण ने राधा जी को पृथ्वी पर जन्म लेने का आग्रह किया। यह भादो (सितंबर के महीने में ), शुक्ल पक्ष की अष्टमी, अनुराधा नक्षत्र का समय था और समय 12 बजे जब राधा रानी इस दुनिया में प्रकट हुई।


श्री राधा जी का जन्मस्थान रावल है, मथुरा शहर से लगभग 10 किलोमीटर दूर एक छोटा गांव है। ऐसा कहा जाता है कि एक दिन बृषभानु जी एक नदी में स्नान कर रहे था, तभी उन्होंने एक कमल देखा जो कि हजारों पंखुड़ियों वाला था और वह सूर्य के प्रकाश में सुनहरा कमल जैसा दिखता था और जब वह करीब आ गया, तो उन्होंने उस फूल के अंदर एक छोटी बच्ची को देखा और उस बच्ची को उन्होंने भगवान का आशीर्वाद समझ कर ले लिया और उसे अपनी बेटी के रूप में घर ले आये ।
श्री राधा जी ने अपनी आँखें नहीं खोलीं, जब तक कि वह भगवान कृष्ण के सुंदर चेहरे को नहीं देखा। वृषभनु और उनकी पत्नी बहुत परेशान थे और इस धारणा के तहत कि लड़की अंधी थी।

ग्यारह महीनों के बाद, जब अपने परिवार के साथ वृषभनू नंदबाबा को देखने के लिए गोकुल गए तो श्री राधा जी ने अपनी आंखें पहली बार खोली वो भी जब नंदबाबा बाल गोपाल श्री कृष्ण को उनके सामने लाये। अपने स्वामी आकर्षक चेहरे को देखने के लिए राधा रानी ने अपनी अपनी आंखें खोल दीं। वह पहली बार अपनी आँखें खोलने पर श्री कृष्ण जी का चेहरा देखना चाहती थी और यही कारण था कि उन्होंने अब तक अपनी आंखें नहीं खोली थी।

बरसाने से कुछ किलोमीटर दूर गह्वर वन है यही वो जगह है जहा राधा कृष्णा पहली बार अकेले मिले। जहा उन्होंने कुछ समय साथ में व्यतीत किया। जहा श्री कृष्ण ने राधा रानी के बालों को फूलो से सजाया था।

उनका प्रेम वृंदावन की जमीन पर उग आया जो माना जाता है कि श्री जी का दिल और ब्रह्माण्ड में सबसे अधिक धन्य भूमि है । उन्होंने यमुना के तट पर महा-रास लीला किया जो को युगो युगो तक नहीं भुलाया जा सकता ये अटूट भक्ति (प्रेम ) का संगम था। लेकिन तब वह समय भी आ गया जब शाप के कारन कृष्णाji को राधा जी से अलग होना पड़ा। उनसे दूर जाना पड़ा। लेकिन वो कहते है ना जिनकी रूह एक दूसरे की रूह में समायी होती है वो अलग कहा होते है। कंस को मारने के लिए श्री कृष्णा को मथुरा जाना पड़ा।
जाने से पहले, श्री कृष्णा जी ने ,श्री राधा जी से अपना वचन लिया को वो उनकी याद में कभी आँसू नहीं बहायेंगी।
श्री राधा जी ने  वादा किया कि वो नहीं रोयेंगी और आँसू नहीं बहाएंगे। श्री राधा जी ने  वादा किया कि वो नहीं रोयेंगी और आँसू नहीं बहाएंगे। कृष्ण ने उससे कहा कि उनका प्यार बिना शर्त का है और हमेशा रहेगा। मैं समय के अंत तक तुम्हारा ऋणी बना रहूँगा और वो हमेशा उनके साथ देखी जाएँगी। मेरे नाम से पहले हर कोई तुम्हारा नाम लेगा।  और हम आज देख सकते हैं कि वृंदावन में लोग या ब्रजवासी कहते है राधे राधे कहो चले आएंगे कृष्णा।

आज वृन्दावन में हर तरफ राधे राधे है। यहां तक कि रिक्शा वाला रास्ता मांगने के लिए रास्ते भी सिर्फ राधे राधे नाम का प्रयोग करते है। वृंदावन में हर घर या वृक्ष पे श्री राधा का नाम लिखा गया है। श्री राधा जी का भक्ति(प्रेम ) और दर्द ऐसा था कि कृष्ण ने उसे एक वरदान दिया कि उनका  नाम श्री कृष्णा जी से पहले लिया जाएगा।

For medical and educational help, we are a helping hand. for more info, visit our website on www.radhemaa.com

                                                                                                                                                                         Source:https://bit.ly/2Wd1idb

No comments: