Monday, April 29, 2019

Dowry case: Radhe Maa not named in chargesheet - The Times Of India

MUMBAI: The Kandivli police, who questioned godwoman Radhe Maa alias Sukhvinder Kaur several times in a dowry harassment case last year, has not  named her in the chargesheet. Her statement has also not been included in the 230 page-long chargesheet. However, police have included statements of two of her associates — Chhoti Maa and Talli Baba.

Radhe Maa, Shri Radhe Maa
Radhe Maa
Kandivli police had filed a case against Radhe Maa on July 18, 2015, for allegedly instigating the in-laws of a 32-year-old housewife, Niki Gupta, to harass her for dowry. Niki's counsel had argued that her in-laws and family members were disciples of Radhe Maa and that the godwoman had complete control over them.

Radhe Maa had rejected all the allegations in her petition to the Bombay high court and was granted pre-arrest bail.

In the chargesheet, police have stated that they found no evidence against Radhe Maa. The chargesheet only names six members of Niki's family including her husband and in-laws as accused.

In her statement, Chhoti Maa alias Ritu Sareen has alleged that Niki had never visited Radhe Maa alone and was always accompanied by her family. She also refuted the allegation that Niki had gifted valuables or cash to Radhe Maa. “Talli baba and I are the only two people allowed into Radhe Maa's room for her seva. So, there's no question of Niki being forced into seva or being assaulted by Radhe Maa," her statement says. "If while recording Niki's statement during the trial, it comes on record that there is an overt act on part of Radhe Maa we will make an application to make the godwoman an accused," said Kshitij Mehta, Niki's lawyer. The next hearing is scheduled for October 7.

Source: https://timesofindia.indiatimes.com/city/mumbai/Dowry-case-Radhe-Maa-not-named-in-chargesheet/articleshow/53069289.cms

Saturday, April 27, 2019

भगवन श्री राम के गुण । Qualities of Lord Rama |


भगवान राम

भगवान राम का जन्म धरती से राक्षसों और असुरों का संहार करने के लिए हुआ था। धरती रावण रूपी बुराई के आतंक से त्रस्त थी, चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था....धरती को पाप मुक्त बनाने के लिए विष्णु जी ने देवी कौशल्या की गर्भ से श्रीराम के रूप में जन्म लिया था।

भगवान राम का चरित्र

पौराणिक कथाओं में भगवान राम के चरित्र की व्याख्या बड़ी ही खूबसूरती के साथ की गई है। वे मर्यादा पुरुषोतम तो थे ही साथ ही वे एक आदर्श पुत्र भी और प्रिय भाई भी थे। एक ऐसे राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा की देखभाल अपनी संतान की भांति, वे अपनी प्रजा के दुख को अपना ही दुख समझते थे।

राम का वनवास

यही करण है कि जब भगवान राम को वनवास जाना पड़ा तब पूरी अयोध्या ही शोक में डूब गई थी और जब वे 13 साल के वनवास के बाद लौटे तो उनकी प्रजा ने उस दिन को पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाकर उनके प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन किया।

रामायण ग्रंथ

रामायण ग्रंथ, भगवान राम के जीवन पर आधारित एक ऐसी रचना है जिसे पढ़ने के बाद ना सिर्फ आनंद की, बल्कि ओज और उत्साह की भी अनुभूति होती है। रामायण, भगवान राम के जीवन का दर्शन है और साथ ही इस महान ग्रंथ में कुछ ऐसी बातें भी उल्लिखित है जो मानव जीवन के बहिय काम आ सकती है।

प्राचीन ग्रंथ और पुराण

रामायण के अलावा, ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ और पुराण हैं जिनमें भगवान राम द्वारा कही गई बातों का जिक्र है, जिनमें से एक है अग्नि पुराण। अग्नि पुराण के एक विस्तृत अध्याय के अंतर्गत श्रीराम और उनके भ्राता लक्ष्मण के बीच वार्तालाप का उल्लेख है। जिसका आधार था “कैसा व्यक्ति एक बेहतरीन राजा या नेता बन सकता है”।

भगवान राम

भगवान राम ने अपने भाई लक्ष्मण को बताया था कि एक व्यक्ति तभी अच्छा राजा या नेता बन सकता है जब वह चार दिशाओं में कार्य करे। सबसे पहले वो ये जानता हो कि धन कैसे अर्जित किया जाता है, दूसरा अर्जित धन को बढ़ाया कैसे जाता है, तीसरा वह ये जानता हो कि उस धन की रक्षा किस तरह की जाती है और चौथा, किस तरह उस धन का प्रयोग अपनी प्रजा के सुखद भविष्य के लिए किया जाए।

प्रजा से प्रेम

भगवान श्रीराम के अनुसार राजा को ना सिर्फ उन लोगों के साथ हमेशा विनम्र और शांत रहना चाहिए जो उसके लिए काम करते हैं वल्कि उन लोगों के साथ भी नम्र व्यवहार करना चाहिए जो उसके साथ कार्य नहीं करते। ऐसा राजा जो बात-बात पर क्रोधित होता है या फिर अधिकांश स्थितियों में अपना धैर्य खो देता है, वह कभी भी अपनी प्रजा से प्रेम या आदर प्राप्त नहीं कर पाता।

गलती को मांफ़ करना

गलती को मांफ़ करना और अहिंसा के मार्ग पर चलना... जो व्यक्ति इन गुणों को अपने बेहेतर संजो कर रखता है वह एक अच्छा राजा बन सकता है। खासकर तब जब ये बातें उसके राज्य की खुशियों की बात हो। वह एक अच्छा मार्गदर्शक होना चाहिए, जो सभी की मदद करने के लिए तत्पर रहे और साथ ही साथ अपनी प्रजा की रक्षा करनी भी जानता हो।

शिकायतें सुनने का समय

एक अच्छे राजा को कभी भी अपनी प्रजा या दरबार में आए किसी भी व्यक्ति को नाउम्मीद नहीं छोड़ना चाहिए। उसके पास हमेशा अपने लोगों के दुख और शिकायतें सुनने का समय होना चाहिए, ताकि वह उन्हें सुलझा पाए। साथ ही जो लोग उससे खुश नहीं है, उन्हें भी संतुष्ट करने की कोशिश होनी चाहिए।

 अच्छे वचन

एक नेता या शासक को हमेशा अच्छे वचन ही बोलने चाहिए, फिर चाहे हो अपने दोस्त के लिए प्रयोग कर रहा हो या फिर दुश्मन के लिए।

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Thursday, April 25, 2019

भगवन शिव की अद्भुत कहानी । Story of Lord Shiva |


कई पुराणों की बात करें अगर हम तो भगवान शिव के जन्म के बारे में कोई साक्षात् हमारे पास उपलब्ध नहीं है न इस दुनिया के किसी कोने में है ! पुराणों से हमे पता चलता है की भगवान शिव निरंकार है ! भगवान शिव कोई रूप नहीं ! हम सब जिन्हें भगवान जानते है ! वो सभी एक ही है ! भगवान शिव जी का रूप कैसा है किस तरह का कोई नहीं जनता है ! भगवान शिव एक ज्ञान हैं ! दुनिया का निर्माण भगवान शिव ने किया शिव के जन्म की कहानी - वैसे तो हमारे प्राचीन वेदों में भगवान शिव जी को एक निराकार रूप बताया गया है पुराणों से हमे पता चलता है की उन्होंने भगवान विष्णु को जन्म दिया और विष्णु भगवान की नाभि से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ ! 

भगवान विष्णु और ब्रह्मा दोनों को जन्म के बाद, तब उन्हें ये भी नहीं पता था की वो इस लोक में कैसे आये कहा से आये उन्हें कौन लाया है ! इस संसार में दोनों को बहुत शक्तिशाली मना गया है ! पुराणी कथाओं की मानें तो बात-बात पर दोनों में बहस सुरु हो गयी थी की कौन हम दोनों में महान हैं कौन किससे ज्यादा शक्तिशाली है ज्यादा शक्तिशाली है या कोन बड़ा है ! वो दोनों आपस में ही लड़ने लगे ! एक बार इन दोनों के बिच युद्ध करीबन दस हजार सालो तक चला ! अलग अलग धारणाओं की मानें तो शिव पुराण और विष्णु पुराण की अलग अलग मान्यताएं हैं शिव पुराण के अनुसार एक बार जब भगवान शिव अपने टखने पर अमृत मल रहे थे तब उससे भगवान विष्णु पैदा हुए जबकि विष्णु पुराण में कहा गया है कि ब्रह्मा भगवान विष्णु की नाभि कमल से पैदा हुए, जबकि शिव माथे के तेज से उत्पन्न बताये गए है. 

सर्वशक्तिमान भगवान शिव हिंदू धर्म के सबसे देवताओं में से एक है, जो मूर्तिपूजा है क्योंकि भगवान शिव के शैवती संप्रदायों के प्रमुख प्रभु यह है कि "बुराई के विध्वंसक", हिंदू त्रिमूर्ति जिसमें ब्रह्मा और हिंदू देवता हैं शैव धर्म की परंपरा में, शिव यह है कि सभी का ईश्वर, ब्रह्मांड को संरक्षित और बदलता है। हिंदुत्व की दिव्यता परंपरा के भीतर शक्तिवाद के रूप में संदर्भित, देवत्व सर्वोच्च के रूप में चित्रित किया गया है, फिर भी शिव हिंदू देवता और ब्रह्मा के बखूबी सम्मानित है। 

हम सब जानते हैं शिव शक्तिमान हैं संसार चलाने के लिए शिव जी अपना विस्तार किया और विष्णु जी को इस संसार का पालक बनाया ! श्री ब्रह्मा जी को जन्म देने वाले भगवान् शिव ने और जरुरत पढ़ने पर विष भी पिने वाले भगवान बने ! भगवा न्विष्णू शिव की पूजा करते है ! शिव जी विष्णु की पूजा करते है ! पर तीनो ही सर्वश्रेस्ठ है ! कोई बड़ा या छोटा नहीं है ! भगवान शिव का जन्म कैसे हुआ – इस बात का जवाब यही है ! 

शिव की नहीं कोई शुरुआत है और नाही अंत जो शुरू होता है उसे खत्म भी होना होता है ! पर भगवान शिव इन सबसे परे है ! उनका कोई जन्म नहीं हुआ और नाही कोई अंत होगा ! भगवान शिव सबसे पहले है और भगवान शिव सबसे अंत तक रहेंगे ! भगवान शिवशंकर जिन्हें हम जानते है ! ये बस एक आकार ग्रहण करण था!

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Saturday, April 20, 2019

Radhe Maa Not Accused in Dowry Case -NavBharat Times

राधे मां दहेज प्रताड़ना मामले में आरोपी नहीं

नवभारत टाइम्स | Updated:
स्वयं-भू राधे मां को दहेज प्रताडना के मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है। इस मामले में पिछले वर्ष पुलिस ने राधे मां से पूछताछ की थी। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी। कांदीवली पुलिस ने लोकल कोर्ट में जो आरोपपत्र दाखिल किया है उसमें सुखविन्दर कौर उर्फ राधे मां का नाम नहीं है। अधिकारी ने कहा कि 'चूंकि हमें कौर के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है, इसलिए उसे मामले में आरोपी नहीं बनाया गया है'।

Radhe Maa, Shri Radhe Maa
Radhe Maa

पुलिस का कहना है कि हालांकि इस मामले में शिकायत करने वाली महिला के पति और ससुराल वालों सहित छह लोगों को आरोपी बनाया गया है। अधिकारी ने बताया कि आरोपपत्र 10 दिन पहले दायर किया गया है।

पिछले वर्ष 32 वर्षीय महिला ने अपने ससुराल के लोगों और राधे मां के खिलाफ दहेज प्रताडना का मामला दर्ज कराया था। उसने आरोप लगाया था कि राधे मां ने उसके ससुराल वालों को उकसाया था। बाद में पुलिस ने इस संबंध में राधे मां से पूछताछ भी की थी। हालांकि उन्होंने अपने खिलाफ लगे सभी आरोपों को खारिज किया था। इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने उसे अंतरिम जमानत भी दे दी थी।

Source: https://navbharattimes.indiatimes.com/metro/mumbai/power-road-and-water/radhe-maa-no-accused-in-dowry-case/articleshow/53065910.cms

Friday, April 19, 2019

Police find no evidence to link Radhe Maa to dowry harassment case

Can’t name her as she is not blood relative: charge sheet
The India Express
Written by Srinath Rao | Mumbai |
Updated: October 17, 2016
In statements recorded in May, Kaur’s aides — Punjab natives Ritu Sareen alias Chhoti Maa and Gaurav Kumar alias Talli Baba — have accused Nikki of lying and attempting to malign Kaur’s reputation.
Radhe Maa, Shri Radhe Maa
Shri Radhe Maa

The Mumbai Police have found no proof that self-proclaimed god woman Shri Radhe Maa egged on six members of a family to physically assault a 32-year-old woman over dowry demands. Her name has thus been dropped as an accused in the charge sheet filed last month.
The police’s 230-page charge sheet names Nakul Gupta, his father Daulat Gupta, mother Lata Gupta, brother Sandeep Gupta, sister-in-law Jyoti Gupta and uncle Jagmohan Gupta for domestic violence, demanding dowry, criminal breach of trust, criminal intimidation, cheating, voluntarily causing hurt, insult and common intention.
They have been accused by Nakul’s wife Nikki Gupta of cheating her family of Rs 1.25 crore in expenses during her engagement, wedding, dowry and alleged gifts to Shri Radhe Maa, alias Sukhvinder Kaur, in 2012.
Nakul and his family have been accused of demanding Rs 65 lakh more from Nikki to purchase an apartment.
The charge sheet, however, states that Kaur cannot be charged with domestic violence as she is not a blood relative of the Gupta family. The police have also found no evidence to suggest that Nikki’s in-laws illegally confiscated her belongings at Kaur’s behest.
However, in statements recorded in May, Kaur’s aides — Punjab natives Ritu Sareen alias Chhoti Maa and Gaurav Kumar alias Talli Baba — have accused Nikki of lying and attempting to malign Kaur’s reputation.
Both have stated that they are the only two individuals who care for Kaur, and that no one else is allowed to do so.
“Nikki Gupta never visited our house alone. So where does the question of her being forced to sweep the floors arise?” their statements read.
They have also told the police that Kaur has never declared herself to be a ‘god’ and instead urges her disciples to worship God.
Source: https://indianexpress.com/article/india/india-news-india/police-find-no-evidence-to-link-radhe-maa-to-dowry-harassment-case-2910259/
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Wednesday, April 17, 2019

Book Donation Campaign for Children - Shri Radhe Maa

Shri Radhe Maa Charitable Trust Organized a Book Donation Campaign for Children 


Shri Radhe Maa Charitable Trust Organized a Book Donation Campaign for Children to improve quality education. The goal of the campaign is to empower youths and minorities for quality learning and professional development. In the past, Shri Radhe Maa Charitable Trust has successfully implemented several literacy initiative projects to improve learning and quality education, especially for the underprivileged and minorities.

Shri Radhe Maa says donating is a selfless act. One of the major positive effects of donating is simply feeling good about giving. Being able to give back to those in need helps you achieve a greater sense of personal satisfaction and growth.

Shri Radhe Maa
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Tuesday, April 16, 2019

Beti Bachao, Beti Padhao | Support A Girl Child - Shri Radhe Maa

Shri Radhe Maa is an ardent supporter of Beti Bachao Beti Padhao Campaign


Shri Radhe Maa Charitable Trust supports Beti Bachao Beti Padhao campaign in order to address the gender imbalance and discrimination against girl child in the Indian society.

Shri Radhe Maa Charitable Trust is organizing a number of programs to promote "Save Girl Child" and "to Educate Girl Child".

Shri Radhe Maa, Radhe Maa
Caring for the Girl Child - Shri Radhe Maa

Shri Radhe Maa, Radhe Maa
 Shri Radhe Maa

Shri Radhe Maa, Radhe Maa
Mamtamayi Shri Radhe Guru Maa

Shri Radhe Maa, Radhe Maa
Shri Radhe Maa 

Shri Radhe Maa, Radhe Maa
Shri Radhe Maa- Caring for the Girl Child

The aim of Beti Bachao Beti Padhao campaign is to stop the decline in girl child sex ratio and promote women's empowerment in order to improve the women status in the country.

Shri Radhe Maa is an ardent supporter of Beti Bachao Beti Padhao campaign thus she does every bit from her end to provide them with education, dressing, and basic amenities.

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Friday, April 12, 2019

दुर्गा कथा : मां पार्वती की पवित्र पौराणिक गाथा | Maa Durga Story in Hindi |



कैलाश पर्वत के निवासी भगवान शिव की अर्धांगिनी मां सती पार्वती को ही शैलपुत्री‍, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री आदि नामों से जाना जाता है। इसके अलावा भी मां के अनेक नाम हैं जैसे दुर्गा, जगदम्बा, अम्बे, शेरांवाली आदि, लेकिन सबमें सुंदर नाम तो 'मां' ही है।

माता की पवित्र गाथा : -
आदि सतयुग के राजा दक्ष की पुत्री पार्वती माता को शक्ति कहा जाता है। पार्वती नाम इसलिए पड़ा की वह पर्वतराज अर्थात् पर्वतों के राजा की पुत्र थी। राजकुमारी थी। लेकिन वह भस्म रमाने वाले योगी शिव के प्रेम में पड़ गई। शिव के कारण ही उनका नाम शक्ति हो गया। पिता की अनिच्छा से उन्होंने हिमालय के इलाके में ही रहने वाले योगी शिव से विवाह कर लिया।
एक यज्ञ में जब दक्ष ने पार्वती (शक्ति) और शिव को न्यौता नहीं दिया, फिर भी पार्वती शिव के मना करने के बावजूद अपने पिता के यज्ञ में पहुंच गई, लेकिन दक्ष ने शिव के विषय में सती के सामने ही अपमानजनक बातें कही। पार्वती को यह सब सहन नहीं हुआ और वहीं यज्ञ कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए।  

यह खबर सुनते ही शिव ने अपने सेनापति वीरभद्र को भेजा, जिसने दक्ष का सिर काट दिया। इसके बाद दुखी होकर सती के शरीर को अपने कंधों पर धारण कर शिव ‍क्रोधित हो धरती पर घूमते रहे। इस दौरान जहां-जहां सती के शरीर के अंग या आभूषण गिरे वहां बाद में शक्तिपीठ निर्मित हो गए। जहां पर जो अंग या आभूषण गिरा उस शक्तिपीठ का नाम वह हो गया। 

माता का रूप :-

मां के एक हाथ में तलवार और दूसरे में कमल का फूल है। रक्तांबर वस्त्र, सिर पर मुकुट, मस्तक पर श्वेत रंग का अर्धचंद्र तिलक और गले में मणियों-मोतियों का हार हैं। शेर हमेशा माता के साथ रहता है।
माता की प्रार्थना :- 
जो दिल से पुकार निकले वही प्रार्थना। न मंत्र, न तंत्र और न ही पूजा-पाठ। प्रार्थना ही सत्य है। मां की प्रार्थना या स्तुति के पुराणों में कई श्लोक दिए गए है।

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Thursday, April 11, 2019

Financial Support For Medical And Marriage - Mamtamayi Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

Financial Support For Medical And Marriage - Mamtamayi Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness 

Shri Radhe Maa Charitable Trust Provides Financial Support For Medical and Marriage for needy and underprivileged people to live a better life.

Mamtamayi Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness
Marriage Support - Mamtamayi Shri Radhe Maa

Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness
Medical Support - Mamtamayi Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness

Shri Radhe Maa
Medical Support -  Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness

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Contact Nandi Baba: 9820969020

Tuesday, April 9, 2019

Free Distribution Of Home Appliances - Mamtamayi Shri Radhe Maa





Shri Radhe Maa Charitable Society organized a Free Distribution Of Home Appliances



As a social organization, Shri Radhe Maa Charitable Society has undertaken a major initiative of organizing Free Distribution Of Home Appliances to help and support socially and economically underprivileged people. The items included were Roof Fans, Pressure Cooker, Iron, sewing machines, Gas stove and many more...

क्यों भगवान विष्णु के चरणों के निकट विराजती हैं देवी लक्ष्मी



पति को परमेश्वर का स्थान

हिन्दू धर्म में पति को परमेश्वर का स्थान दिया गया है। रूढ़िवादी समाज का मानना है कि पति के सेवा में ही स्त्री का स्वर्ग है और अपने इस कथन को आधार देने के लिए वे माता लक्ष्मी का उदाहरण देते हैं, जिन्हें हमेशा अपने पति भगवान विष्णु के चरणों के निकट बैठा हुआ ही दिखाया गया है।

देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु

हमारे समाज का ये मानना है कि जब धन की देवी लक्ष्मी अपने पति के चरणों में अपना स्वर्ग तलाश सकती हैं तो आज की महिलाएं जो खुद को आत्मनिर्भर और आर्थिक रूप से स्वतंत्रता प्रदान कर चुकी हैं, उनके लिए पति की सेवा करना कौन सी बड़ी बात है। लेकिन क्या वाकई माता लक्ष्मी और विष्णु के चित्र को जो अवधारणा प्रदान की गई है, उसके पीछे की हकीकत वैसी ही है?

चरणों में वास

शायद नहीं, ऐसा लगता है देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु का चित्र हिन्दू धर्म में भ्रांति फैलाने का कार्य कर रहा है, क्योंकि जिस उद्देश्य की पूर्ति के लिए माता लक्ष्मी ने अपने पति के चरणों के निकट वास किया है वो पूरी तरह भिन्न है।

ब्रह्मांड के पालनहार

हिन्दू पौराणिक दस्तावेजों के अनुसार माता लक्ष्मी की एक बहन हैं, अलक्ष्मी। जहां देवी लक्ष्मी, धन, सौभाग्य और वैभव की देवी हैं वहीं अलक्ष्मी, दरिद्रता, निर्धनता आदि का प्रतीक कही जाती हैं। विष्णु को पालनहार कहा जाता है, जिनका दायित्व घर-परिवार समेत समस्त ब्रह्मांड की रक्षा करना है और देवी लक्ष्मी इन्हीं पालनहार को दरिद्रता और दुर्भाग्य से बचाने के लिए उनके चरणों में बैठी हैं।

उल्लू का स्वरूप

अलक्ष्मी, लक्ष्मी देवी की बड़ी बहन हैं। बेहद कुरूप होने की वजह से उनका विवाह भी नहीं हो पाया। कहा जाता है कि जहां-जहां देवी लक्ष्मी जाती हैं, अलक्ष्मी उनके पीछे-पीछे वहां पहुंचती हैं। कभी अपने स्वरूप में तो कभी देवी लक्ष्मी की सवारी उल्लू के स्वरूप में।

ईर्ष्यालु बहन

अलक्ष्मी अपनी बहन लक्ष्मी से बेहद ईर्ष्या रखती हैं। वह बिल्कुल भी आकर्षक नहीं हैं, उनकी आंखें भड़कीली, बाल फैले हुए और बड़े-बड़े दांत हैं। यहां तक कि जब भी देवी लक्ष्मी अपने पति के साथ होती हैं, अलक्ष्मी वहां भी उन दोनों के साथ पहुंच जाती हैं।

देवी लक्ष्मी का क्रोध

पौराणिक मान्यतानुसार, अपनी बहन का ये बर्ताव देवी लक्ष्मी को बिल्कुल पसंद नहीं आया। उन्होंने अलक्ष्मी से पूछा “तुम मुझे और मेरे पति को अकेला क्यों नहीं छोड़ देती? तुम क्यों मेरे पति के समीप जाना चाहती हो?”

अलक्ष्मी का जवाब

इस पर अलक्ष्मी ने जवाब दिया “मेरे पास पति नहीं है और कोई भी मेरी आराधना नहीं करता, इसलिए जहां-जहां तुम जाओगी, मैं तुम्हारे साथ रहूंगी”।

श्राप

इस पर देवी लक्ष्मी अत्यंत क्रोधित हो गईं और क्रोध के आवेग में उन्होंने अलक्ष्मी को श्राप दिया “मृत्यु के देवता तुम्हारे पति हैं और जहां भी गंदगी, ईर्ष्या, लालच, आलस, रोष और अस्वच्छता रहेगी, तुम वहीं रहोगी”।

गंदगी पर वास

इस प्रकार भगवान विष्णु और अपने पति के चरणों में बैठकर माता लक्ष्मी उनके चरणों की गंदगी को दूर करती हैं, ताकि अलक्ष्मी उनके निकट भी ना सकें। यहां माता लक्ष्मी एक देवी नहीं बल्कि एक पत्नी की भूमिका में हैं, जो अपने पति को पराई स्त्री से दूर रखने की हर संभव कोशिश कर रही हैं।

प्रतीकात्मक ग्रंथ

इस तरह देखा जाए तो हिन्दू पौराणिक इतिहास जितना स्पष्ट है उतना ही ज्यादा प्रतीकात्मक भी। इन प्रतीकों को हम अपनी-अपनी सहूलियत के अनुसार परिभाषित कर लेते हैं। यहां देवी लक्ष्मी, अलक्ष्मी और भगवान विष्णु की कहानी को सौभाग्य और दुर्भाग्य के साथ जोड़ा गया है।

सौभाग्य और दुर्भाग्य

माना जाता है सौभाग्य और दुर्भाग्य एक साथ चलते हैं और एक ही साथ पहुंचते हैं। जब आपके ऊपर सौभाग्य की वर्षा होती है तब दुर्भाग्य भी निकट बैठे हुए अपने लिए एक अवसर की तलाश कर रहा होता है।

अलक्ष्मी का उद्देश्य

अलक्ष्मी भी कुछ इसी तरह घर के बाहर बैठकर लक्ष्मी के जाने का इंतजार करती हैं कि वो जाएं तो अलक्ष्मी को घर के भीतर आने का मौका मिले।

अलक्ष्मी का प्रवेश

जहां भी गंदगी मौजूद होती है वहां लालच, ईर्ष्या, पति-पत्नी के झगड़े, अश्लीलता, क्लेश और कलह का वातावरण बन जाता है, जो कि अलक्ष्मी के प्रवेश की निशानी है।

सफाई का महत्व

अलक्ष्मी को दूर रखने और लक्ष्मी को आमंत्रित करने के लिए हिन्दू धर्म से जुड़े प्रत्येक घर में सफाई के साथ-साथ नित्य पूजा-पाठ और अगबत्ती का धुआं किया जाता है, ताकि घर और घर के लोगों को किसी भी प्रकार की नकारात्मकता और दुर्भाग्य से दूर रखा जा सके।
To know more about Guru Maa’s teachings you may follow her on her account on Twitter and Instagram or log on to www.radhemaa.com. These social pages are handled by her devoted sevadars.
                                                                                                                                     Source:http://bit.ly/2U3qPmR

Monday, April 1, 2019

शिव पुराण | Shiv Puran in Hindi |



'शिव पुराण' का सम्बन्ध शैव मत से है। इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। कहा गया है कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। किन्तु 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।

भगवान शिव सदैव लोकोपकारी और हितकारी हैं। त्रिदेवों में इन्हें संहार का देवता भी माना गया है। अन्य देवताओं की पूजा-अर्चना की तुलना में शिवोपासना को अत्यन्त सरल माना गया है। अन्य देवताओं की भांति को सुगंधित पुष्पमालाओं और मीठे पकवानों की आवश्यकता नहीं पड़ती । शिव तो स्वच्छ जल, बिल्व पत्र, कंटीले और न खाए जाने वाले पौधों के फल यथा-धूतरा आदि से ही प्रसन्न हो जाते हैं। शिव को मनोरम वेशभूषा और अलंकारों की आवश्यकता भी नहीं है। वे तो औघड़ बाबा हैं। जटाजूट धारी, गले में लिपटे नाग और रुद्राक्ष की मालाएं, शरीर पर बाघम्बर, चिता की भस्म लगाए एवं हाथ में त्रिशूल पकड़े हुए वे सारे विश्व को अपनी पद्चाप तथा डमरू की कर्णभेदी ध्वनि से नचाते रहते हैं। इसीलिए उन्हें नटराज की संज्ञा भी दी गई है। उनकी वेशभूषा से 'जीवन' और 'मृत्यु' का बोध होता है। शीश पर गंगा और चन्द्र –जीवन एवं कला के द्योतम हैं। शरीर पर चिता की भस्म मृत्यु की प्रतीक है। यह जीवन गंगा की धारा की भांति चलते हुए अन्त में मृत्यु सागर में लीन हो जाता है।

'रामचरितमानस' में तुलसीदास ने जिन्हें 'अशिव वेषधारी' और 'नाना वाहन नाना भेष' वाले गणों का अधिपति कहा है, वे शिव जन-सुलभ तथा आडम्बर विहीन वेष को ही धारण करने वाले हैं। वे 'नीलकंठ' कहलाते हैं। क्योंकि समुद्र मंथन के समय जब देवगण एवं असुरगण अद्भुत और बहुमूल्य रत्नों को हस्तगत करने के लिए मरे जा रहे थे, तब कालकूट विष के बाहर निकलने से सभी पीछे हट गए। उसे ग्रहण करने के लिए कोई तैयार नहीं हुआ। तब शिव ने ही उस महाविनाशक विष को अपने कंठ में धारण कर लिया। तभी से शिव नीलकंठ कहलाए। क्योंकि विष के प्रभाव से उनका कंठ नीला पड़ गया था।

ऐसे परोपकारी और अपरिग्रही शिव का चरित्र वर्णित करने के लिए ही इस पुराण की रचना की गई है। यह पुराण पूर्णत: भक्ति ग्रन्थ है। पुराणों के मान्य पांच विषयों का 'शिव पुराण' में अभाव है। इस पुराण में कलियुग के पापकर्म से ग्रसित व्यक्ति को 'मुक्ति' के लिए शिव-भक्ति का मार्ग सुझाया गया है।
मनुष्य को निष्काम भाव से अपने समस्त कर्म शिव को अर्पित कर देने चाहिए। वेदों और उपनिषदों में 'प्रणव - ॐ' के जप को मुक्ति का आधार बताया गया है। प्रणव के अतिरिक्त 'गायत्री मन्त्र' के जप को भी शान्ति और मोक्षकारक कहा गया है। परन्तु इस पुराण में आठ संहिताओं सका उल्लेख प्राप्त होता है, जो मोक्ष कारक हैं। ये संहिताएं हैं- विद्येश्वर संहिता, रुद्र संहिता, शतरुद्र संहिता, कोटिरुद्र संहिता, उमा संहिता, कैलास संहिता, वायु संहिता (पूर्व भाग) और वायु संहिता (उत्तर भाग)।
इस विभाजन के साथ ही सर्वप्रथम 'शिव पुराण' का माहात्म्य प्रकट किया गया है। इस प्रसंग में चंचुला नामक एक पतिता स्त्री की कथा है जो 'शिव पुराण' सुनकर स्वयं सद्गति को प्राप्त हो जाती है। यही नहीं, वह अपने कुमार्गगामी पति को भी मोक्ष दिला देती है। तदुपरान्त शिव पूजा की विधि बताई गई है। शिव कथा सुनने वालों को उपवास आदि न करने के लिए कहा गया है। क्योंकि भूखे पेट कथा में मन नहीं लगता। साथ ही गरिष्ठ भोजन, बासी भोजन, वायु विकार उत्पन्न करने वाली दालें, बैंगन, मूली, प्याज, लहसुन, गाजर तथा मांस-मदिरा का सेवन वर्जित बताया गया है।

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