किसी बच्चे के लिए उसके माता-पिता ही उसके पहले टीचर होते हैं, जिनसे वो बोलना, चलना और व्यवहार की अन्य आदतें सीखता है। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा हर क्षेत्र में अव्वल रहे, तो कुछ आदर्श आपको खुद भी प्रस्तुत करने होंगे।
अक्सर पैरेंट्स बच्चों पर जोर-जबरदस्ती कर उन्हें आदर्श और शिष्टाचार की बातें सिखाने की कोशिश करते हैं, पर क्या आपने कभी गौर किया है कि बच्चे व्यवहार संबंधी सारी बातें आपसे ही सीखते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं है कि आपका बच्चा कल को आपके ही नक्शेकदम पर चलेगा। इसलिए अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा आपकी सुने और उसमें अच्छे गुण आएं, तो आपको उसके सामने खुद की एक मिसाल पेश करनी होगी। बच्चे की प्रथम पाठशाला उसका अपना घर होता है, जहां पैरेंट्स उसके टीचर होते हैं। सामाजिकता, व्यवहारिकता और नैतिकता की बातें बच्चे घर से ही सीखते हैं। बच्चों में यदि आप आदर्श मूल्य स्थापित करना चाहते हैं, तो उसकी शुरुआत खुद से ही करें।
मीठा बोलें, अच्छा बोलें!
बच्चे सही और गलत में फर्क नहीं कर पाते, ऐसे में पैरेंट्स होने के नाते आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप उनको सही और गलत में फर्क समझाएं। अकसर देखा गया है कि बच्चे अपने अभिभावक या परिवार की शह पर ही अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यही नहीं, यदि आप भी अपनी बोलचाल में अभद्र भाषा का इस्तेमाल करते हैं, तो संभव है कि बच्चा भी आपकी नकल करे। इसलिए बच्चों से कभी भी कड़वी भाषा न बोलें। साधारण बातचीत में भी अच्छे शब्दों का ही इस्तेमाल करें। इसी तरह आप उनको सही तरीके से कम्युनिकेट करना भी सिखा सकते हैं, मगर इसके लिए आपको एक अच्छा श्रोता बनना पड़ेगा। इसलिए आप जब भी अपने बच्चे से बात करें, हमेशा आंखों से आंखें मिलाकर बात करें। इससे बच्चे को लगेगा कि आप उसमें रुचि ले रहे हैं। फलस्वरूप उसका आत्मविश्वास बढ़ेगा और वो अपनी हर बात आपसे शेयर करेगा।
शिष्टाचार भी है जरूरी!
अच्छी आदतें और व्यवहार की कुछ बातें बच्चे बिना सिखाए ही आपसे सीख लेते हैं। जैसे रोजमर्रा की जिंदगी में यदि आप उनके साथ व्यवहार करते हुए सम्मान व आदर सूचक संबोधन करेंगे, तो वे भी प्रतिक्रिया देंगे। इसलिए ‘कृपया’ और ‘धन्यवाद’ जैसे शब्द हमेशा अपने बच्चों के सामने बोलें। आपकी इस तरह की प्रतिक्रिया निश्चित रूप से बच्चे को प्रभावित करेगी और इस तरह आप अपने बच्चे के लिए रोल मॉडल बन जाएंगे।
कहीं अंतर्मुखी ना बना दे रिश्तों का सीमित दायरा!
संयुक्त परिवार का आधार धीरे-धीरे खत्म हो रहा है और लोग अब अपने आप में सिमटने लगे हैं। ऐसे माहौल में पले-बढ़े बच्चे आत्मकेंद्रित हो रहे हैं। इसके लिए वे दोषी भी नहीं हैं, क्योंकि आपने उन्हें माहौल ही ऐसा दिया है। वे दादा-दादी, नाना-नानी की कहानियों से महरूम तो हो ही रहे हैं, साथ ही साथ वे अन्य रिश्तों से भी दूर हो रहे हैं। रिसर्च में यह बात सामने आई है कि जो बच्चे पूरी तरह से पढ़ाई में समर्पित हो जाते हैं, लेकिन परिवार और समाज से दूर होते जाते हैं, उनका आईक्यू तो ठीक रहता है, पर संपूर्ण विकास नहीं हो पाता।
बच्चों को अगर आप सही रूप से पारिवारिक स्तर पर विकसित करना चाहते हैं, तो आपको परिवार के अन्य सदस्यों से मधुर रिश्ता बनाना होगा। पर्व-त्यौहार के मौके पर उनसे मिलें। बच्चों को भी उनसे घुलने मिलने दें। झगड़ा होने पर बच्चे को इधर से उधर संदेश पहुंचाने का माध्यम न बनाएं। ऐसी स्थिति में उसके लिए सही-गलत तय करना मुश्किल हो जाता है। यह चीज उसके अंदर असुरक्षा की भावना भर देती है, जिससे उसका व्यक्तित्व प्रभावित होता है। इसलिए बच्चे को अपनी लड़ाई से दूर ही रखें।
बच्चों को आरंभ से ही व्यवहार संबंधी जरूरी बातें सिखाएं और खुद भी ऐसा करें। बड़ों का आदर करना, छोटों को प्यार देना, आपस में बांटने की भावना, ये सारी बातें बच्चा आपसे ही नकल करता है। आपका बच्चा उचित व्यवहार सीखे, इसके लिए आपको खुद भी व्यवहार कुशल बनना पड़ेगा। इससे न सिर्फ पारिवारिक, बल्कि सामाजिक भावना को भी आप आपने बच्चे में विकसित कर पाएंगे।
हेल्दी होगा फूड, तो बच्चा रहेगा कूल!
अकसर पेरेंट्स की शिकायत होती है कि उनका बच्चा कुछ खाता ही नहीं। चलो मान लेते हैं कि कुछ बच्चे ऐसे होते हैं, पर प्रयास तो आपको करना ही पड़ेगा। बच्चों में खाने की अच्छी आदत विकसित करना चाहते हैं, तो उनमें खाने की नकल करने की प्रवृत्ति डालें। हेल्दी फूड और उससे होने वाले लाभ को कहानियों के माध्यम से बताएं। खाने का प्रेजेंटेशन बेहतर रखें। जो भी रेसिपी हो, उनके साथ टेबल पर बैठ कर खाएं। खाने के दौरान उन्हें टीवी बिलकुल न देखने दें। खाने के लिए उनके पीछे-पीछे भागें भी नहीं।
सिखाएं बच्चे को साफ-सफाई की अच्छी बातें!
सफाई की आदत अत्यंत महत्वपूर्ण आदत है, जो बच्चों को स्वच्छ, निरोग और प्रसन्नचित्त रखती है। समय से उठना, शौचालय जाना, दांतों की सफाई करना, नित्य स्नान करना, अपने शरीर व आसपास के वातावरण को साफ रखना, व्यायाम करना आदि अच्छी आदतें हैं, जो बच्चों में डालनी अत्यंत आवश्यक हैं और ऐसा माहौल आपको ही तैयार करना होगा। अगर आप इन सारी आदतों पर ध्यान देंगे, तो आपका बच्चा भी इनके लिए प्रेरित होगा। हर काम के लिए एक उचित रूटीन बनाएं और कड़ाई से उसको फॉलो करें।क्यूंकि ज्यादा सख्ती बच्चे को उद्दंड भी बना सकती है, इसलिए कभी-कभी उसको छूट देने की गुंजाइश भी रखें।
कैसा है स्कूल में आपका बच्चा!
बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा की शुरुआत नर्सरी से होती है, जहां वे अपने पैरेंट्स से दूर टीचर से संबंध बनाते हैं। चूंकि टीचर के साथ उनका संबंध दोस्ताना होता है, आप बच्चों के सामने किसी शिक्षक के बारे में अपमानजनक भाषा में बात न करें। आपको यह समझना चाहिए कि एक शिक्षक आपके बच्चे को अच्छी बातें ही सिखाते हैं। इसलिए कभी भी शिक्षक की क्षमता पर प्रश्न चिन्ह नहीं लगाना चाहिए। शिक्षक के प्रति सद्व्यवहार को विकसित करें और उनके प्रति अपनी शुभकामनाएं पेश करें। अगर बच्चे में शिक्षक के प्रति सम्मान की भावना होगी, तो ही वह टीचर की सुनेगा।
जरूरी है बच्चे के साथ ‘क्वालिटी टाइम’ गुजारना!
बच्चों के साथ समय बिताएं। चाहे आप उन्हें पूरा समय नहीं दे पाते हों, पर जितना भी वक्त दें, पूरे अटेंशन के साथ उनके साथ रहें। इससे उनका पारिवारिक बाउंडेशन स्ट्रॉन्ग होगा। उनके साथ गेम खेलें, कहानियां सुनाएं। ये छोटे-छोटे पल बच्चों की मेमोरी में जा बैठते हैं। मानसिक स्तर पर वे ज्यादा खुश भी रहते हैं। फन के साथ-साथ क्रिएटिव एक्टिविटीज भी उनके साथ करें। होमवर्क करते समय साथ बैठें। कोई अच्छी मूवी आई हो, तो सीडी मंगवाकर उनके साथ बैठ के देख सकते हैं, या प्रेरक वीडियो वगैरह भी उनके साथ देख सकते हैं। आपका ये साथ उनको जरूर हर क्षेत्र में अव्वल बनाएगा और आप बन जाएंगे उनके रोल मॉडल।
Source :- https://bit.ly/2RZ8aId