हम सभी उस कथा को जानते हैं, कि कैसे गणेशजी हाथी के सिर वाले भगवान बने। जब पार्वती शिव के साथ उत्सव क्रीड़ा कर रहीं थीं, तब उन पर थोड़ा मैल लग गया। जब उन्हें इस बात की अनुभूति हुई, तब उन्होंने अपने शरीर से उस मैल को निकल दिया और उससे एक बालक बना दिया। फिर उन्होंने उस बालक को कहा कि जब तक वे स्नान कर रहीं हैं, वह वहीं पहरा दे।
जब शिवजी वापिस लौटे, तो उस बालक ने उन्हें पहचाना नहीं, और उनका रास्ता रोका । तब भगवान शिव ने उस बालक का सिर धड़ से अलग कर दिया और अंदर चले गए।
यह देखकर पार्वती बहुत हैरान रह गयीं। उन्होंने शिवजी को समझाया कि वह बालक तो उनका पुत्र था, और उन्होंने भगवान शिव से विनती करी, कि वे किसी भी कीमत पर उसके प्राण बचाएँ।
तब भगवान शिव ने अपने सहायकों को आज्ञा दी कि वे जाएँ और कहीं से भी कोई ऐसा मस्तक ले कर आये जो उत्तर दिशा की ओर मुहँ करके सो रहा हो। तब शिवजी के सहायक एक हाथी का सिर लेकर आये, जिसे शिवजी ने उस बालक के धड़ से जोड़ दिया और इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ।
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