एक बार की बात है, अगस्त्य ऋषि भगवान् विष्णु और शिव का आशीर्वाद लेने के लिए गए|
अगस्त्य ऋषि एक नदी का निर्माण करना चाहते थे जो दक्षिण भारत के लोगों के लिए सिचाई और पीने का पानी उपलब्द करवा सके|
भगवान् शिव ने उनकी प्रार्थना को स्वीकार किया और उनके कमंडल में दिव्य पानी डाल दिया| और कहा इस कमंडल का पानी जिस जगह गिरेगा वहीँ से नदी का आरंभ होगा|
कमंडल ले कर अगस्त्य ऋषि अब ऐसी जगह की तलाश करने लगे जहाँ से नदी की शुरुआत हो सके| स्थान खोजने के लिए वो कूर्ग पहाड़ियों पर घूम रहे थे| लेकिन किसी निर्णय पर नहीं पहुँच पा रहे थे|
अचानक अगस्त्य ऋषि को एक छोटा बच्चा वहां दिखाई दिया| ऋषि को लघुशंका के लिए जाना था| ऋषि ने अपना कमंडल कुछ देर के लिए उस छोटे बच्चे को देखभाल के लिए दे दिया|
वो छोटा बालक और कोई नहीं, भगवान् गणेश थे| भगवान् गणेश को पता था, कोन सा स्थान नदी के प्रारम्भ के लिए ठीक होगा| जिससे ज्यादा से ज्यादा दक्षिण भारत के क्षेत्रों को पानी मिल सके|
उन्होंने कमंडल वहीँ धरती पर रख दिया| तभी एक कोवा कमंडल पर पानी पिने के लिए बेठा| और कमंडल को वही गिरा दिया| बस वहीँ से नदी का प्रारंभ हुआ| इसी नदी को कावेरी के नाम से जाना जाता है|
Moral:-
जीवन में जो कुछ भी होता है, अच्छे के लिए होता है| अगर आपको लगता है की कुछ आपके साथ बुरा हुआ है| बेफिक्र रहिये,. उस घटना के अच्छे परिणाम हमें भविष्य में देखने को मिलेंगे|
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Source:https://bit.ly/2GaB72i
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