Monday, July 9, 2018

क्यों चढ़ाते हैं शिवलिंग पर भस्म?

शिवजी के पूजन में भस्म अर्पित करने का विशेष महत्व है। बारह ज्योर्तिलिंग में से एक उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन भस्म आरती विशेष रूप से की जाती है। यह प्राचीन परंपरा है। आइए जानते है शिवपुराण के अनुसार शिवलिंग पर भस्म क्यों अर्पित की जाती है…

शिवजी का रूप है निराला :- 

भगवान शिव अद्भुत व अविनाशी हैं। भगवान शिव जितने सरल हैं, उतने ही रहस्यमयी भी हैं। भोलेनाथ का रहन-सहन, आवास, गण आदि सभी देवताओं से एकदम अलग हैं। शास्त्रों में एक ओर जहां सभी देवी-देवताओं को सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित बताया गया है, वहीं दूसरी ओर भगवान शिव का रूप निराला ही बताया गया है। शिवजी सदैव मृगचर्म (हिरण की खाल) धारण किए रहते हैं और शरीर पर भस्म (राख) लगाए रहते हैं।


भस्म का रहस्य :- 

शिवजी का प्रमुख वस्त्र भस्म यानी राख है, क्योंकि उनका पूरा शरीर भस्म से ढंका रहता है। शिवपुराण के अनुसार भस्म सृष्टि का सार है, एक दिन संपूर्ण सृष्टि इसी राख के रूप में परिवर्तित हो जानी है। ऐसा माना जाता है कि चारों युग (त्रेता युग, सत युग, द्वापर युग और कलियुग) के बाद इस सृष्टि का विनाश हो जाता है और पुन: सृष्टि की रचना ब्रह्माजी द्वारा की जाती है। यह क्रिया अनवरत चलती रहती है। इस सृष्टि के सार भस्म यानी राख को शिवजी सदैव धारण किए रहते हैं। इसका यही अर्थ है कि एक दिन यह संपूर्ण सृष्टि शिवजी में विलीन हो जानी है।ऐसे तैयार की जाती है भस्म शिवपुराण के लिए अनुसार भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडिय़ों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई भस्म शिवजी को अर्पित की जाती है।

भस्म से बढ़ता है आकर्षण :- 

ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार तैयार की गई भस्म को यदि कोई इंसान भी धारण करता है तो वह सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है। शिवपुराण के अनुसार ऐसी भस्म धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है, समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। अत: शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए।

ऐसे तैयार की जाती है भस्म :- 

शिवपुराण के लिए अनुसार भस्म तैयार करने के लिए कपिला गाय के गोबर से बने कंडे, शमी, पीपल, पलाश, बड़, अमलतास और बेर के वृक्ष की लकडिय़ों को एक साथ जलाया जाता है। इस दौरान उचित मंत्रोच्चार किए जाते हैं। इन चीजों को जलाने पर जो भस्म प्राप्त होती है, उसे कपड़े से छान लिया जाता है। इस प्रकार तैयार की गई भस्म शिवजी को अर्पित की जाती है।

भस्म से बढ़ता है आकर्षण :- 

ऐसा माना जाता है कि इस प्रकार तैयार की गई भस्म को यदि कोई इंसान भी धारण करता है तो वह सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करता है। शिवपुराण के अनुसार ऐसी भस्म धारण करने से व्यक्ति का आकर्षण बढ़ता है, समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है। अत: शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाना चाहिए।

भस्म से होती है शुद्धि :- 

जिस प्रकार भस्म यानी राख से कई प्रकार की वस्तुएं शुद्ध और साफ की जाती है, ठीक उसी प्रकार यदि हम भी शिवजी को अर्पित की गई भस्म का तिलक लगाएंगे तो अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी और कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाएगी।

भस्म की विशेषता :- 

भस्म की यह विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है। इसे शरीर पर लगाने से गर्मी में गर्मी और सर्दी में सर्दी नहीं लगती। भस्म, त्वचा संबंधी रोगों में भी दवा का काम भी करती है। शिवजी का निवास कैलाश पर्वत पर बताया गया है, जहां का वातावरण एकदम प्रतिकूल है। इस प्रतिकूल वातावरण को अनुकूल बनाने में भस्म महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। भस्म धारण करने वाले शिव संदेश देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को ढाल लेना चाहिए। जहां जैसे हालात बनते हैं, हमें भी स्वयं को उसी के अनुरूप बना लेना चाहिए।

Source :- https://bit.ly/2KJOiJY

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