भगवान राम
भगवान राम का जन्म
धरती से राक्षसों और असुरों का संहार करने के लिए हुआ था। धरती रावण रूपी
बुराई के आतंक से त्रस्त थी, चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था....धरती को पाप
मुक्त बनाने के लिए विष्णु जी ने देवी कौशल्या की गर्भ से
श्रीराम के रूप
में जन्म लिया था।
भगवान राम का चरित्र
पौराणिक कथाओं में
भगवान राम के चरित्र की व्याख्या बड़ी ही
खूबसूरती के साथ की गई है। वे
मर्यादा पुरुषोतम तो थे ही साथ ही वे एक आदर्श पुत्र भी और प्रिय भाई भी
थे। एक ऐसे राजा थे जिन्होंने अपनी प्रजा की देखभाल अपनी संतान की भांति,
वे अपनी प्रजा के दुख को अपना ही दुख समझते थे।
राम का वनवास
यही करण है कि जब
भगवान राम को वनवास जाना पड़ा तब पूरी अयोध्या ही शोक में डूब गई थी और जब
वे 13 साल के वनवास के बाद लौटे तो उनकी प्रजा ने उस दिन को पूरे
हर्षोल्लास के साथ मनाकर उनके प्रति अपने प्रेम का प्रदर्शन किया।
रामायण ग्रंथ
रामायण ग्रंथ,
भगवान राम के जीवन पर आधारित एक ऐसी रचना है जिसे पढ़ने के बाद ना सिर्फ
आनंद की, बल्कि ओज और उत्साह की भी अनुभूति होती है। रामायण, भगवान राम के
जीवन का दर्शन है और साथ ही इस महान ग्रंथ में कुछ ऐसी बातें भी उल्लिखित
है जो मानव जीवन के बहिय काम आ सकती है।
प्राचीन ग्रंथ और पुराण
रामायण के अलावा,
ऐसे कई प्राचीन ग्रंथ और पुराण हैं जिनमें
भगवान राम द्वारा कही गई बातों
का जिक्र है, जिनमें से एक है अग्नि पुराण। अग्नि पुराण के एक विस्तृत
अध्याय के अंतर्गत श्रीराम और उनके भ्राता लक्ष्मण के बीच वार्तालाप का
उल्लेख है। जिसका आधार था “कैसा व्यक्ति एक बेहतरीन राजा या नेता बन सकता
है”।
भगवान राम
भगवान राम ने अपने
भाई लक्ष्मण को बताया था कि एक व्यक्ति तभी अच्छा राजा या नेता बन सकता है
जब वह चार दिशाओं में कार्य करे। सबसे पहले वो ये जानता हो कि धन कैसे
अर्जित किया जाता है, दूसरा अर्जित धन को बढ़ाया कैसे जाता है, तीसरा वह ये
जानता हो कि उस धन की रक्षा किस तरह की जाती है और चौथा, किस तरह उस धन का
प्रयोग अपनी प्रजा के सुखद भविष्य के लिए किया जाए।
प्रजा से प्रेम
भगवान श्रीराम के
अनुसार राजा को ना सिर्फ उन लोगों के साथ हमेशा विनम्र और शांत रहना चाहिए
जो उसके लिए काम करते हैं वल्कि उन लोगों के साथ भी नम्र व्यवहार करना
चाहिए जो उसके साथ कार्य नहीं करते। ऐसा राजा जो बात-बात पर क्रोधित होता
है या फिर अधिकांश स्थितियों में अपना धैर्य खो देता है, वह कभी भी अपनी
प्रजा से प्रेम या आदर प्राप्त नहीं कर पाता।
गलती को मांफ़ करना
गलती को मांफ़ करना
और अहिंसा के मार्ग पर चलना... जो व्यक्ति इन गुणों को अपने बेहेतर संजो
कर रखता है वह एक अच्छा राजा बन सकता है। खासकर तब जब ये बातें उसके राज्य
की
खुशियों की बात हो। वह एक अच्छा मार्गदर्शक होना चाहिए, जो सभी की मदद
करने के लिए तत्पर रहे और साथ ही साथ अपनी प्रजा की रक्षा करनी भी जानता
हो।
शिकायतें सुनने का समय
एक अच्छे राजा को
कभी भी अपनी प्रजा या दरबार में आए किसी भी व्यक्ति को नाउम्मीद नहीं छोड़ना
चाहिए। उसके पास हमेशा अपने लोगों के दुख और शिकायतें सुनने का समय होना
चाहिए, ताकि वह उन्हें सुलझा पाए। साथ ही जो लोग उससे खुश नहीं है, उन्हें
भी संतुष्ट करने की कोशिश होनी चाहिए।
अच्छे वचन
एक नेता या शासक को हमेशा
अच्छे वचन ही बोलने चाहिए, फिर चाहे हो अपने दोस्त के लिए प्रयोग कर रहा हो या फिर दुश्मन के लिए।
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