'Shri Radhe Maa' |
हिन्दू पंचांग के आश्विन माह की नवरात्रि शारदीय नवरात्रि कहलाती है,शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। आश्विन मास में मौसम में न अधिक ठंड रहती है न अधिक गर्मी। प्रकृति का यह रूप सभी के मन को उत्साहित कर देता है । जिससे नवरात्रि का समय शक्ति साधकों के लिए अनुकूल हो जाता है। तब नियमपूर्वक साधना व अनुष्ठान करते हैं, व्रत-उपवास, हवन और नियम-संयम से उनकी शारीरिक, मानसिक एवं आत्मिक शक्ति जागती है, जो उनको ऊर्जावान बनाती है।
ऐसे ही लुधिअना (पंजाब) में इस शारदेय नवरात्र की अष्टमी में माता के भव्य,दिव्य और विराट जागरण का आयोजन जैसे सोने पे सुहागा हो गया और उसपर अति सुन्दर प्रसंग यह की ममतामयी,करुणामयी,परम वन्दनीय,प्रातः स्मरणीय 'श्री राधे माँ' जी के दिव्य ,अनुपम,अद्भुत और दुर्लभ दर्शन का लाभ उनके भक्तो को प्राप्त हुआ|
४ ऑक्टोबर २०११ को लुधिअना स्थित Impressions फार्म हाउस मानो जैसे दिव्यलोक में परिवर्तित हो गया था,इस फार्म हाउस के विशाल प्रांगन में सुन्दर सुस्सज्जित मीनारों से सजावट की हुई थी,सुनियोजित ढंग से भक्तो के स्वागत और उनके बैठने की व्यवस्था की गयी,सारे वातावरण में एक दिव्य आभा,एक दिव्य गंध का आभास किया जा सकता था, और एक विशाल मंच पर शिव जी,हनुमान जी,गणेश जी,भैरव बाबा सहित मध्य में अष्टभुजाधारी माँ भगवती की सुन्दर सौम्य मूर्ति विराजमान थी, ठीक ८ बजे सिंघल परिवार के प्रमुख सदस्यों ने माँ की पावन ज्योत जो की विशेषतः हिमांचल में स्थित माँ चिंतपूर्णी जी के पावन मंदिर लायी गयी थी को प्रज्वलित कर माँ के पवित्र जागरण का शुभारम्भ किया, जिसके पश्चात् जालंधर से पधारे श्री विजय रजा जी ने अपनी मण्डली के साथ पुरे विधि विधान सहित माँ के आवाहन संग गणेश वंदना की,तत्पश्चात मुंबई से पधारे माँ के सेवादार श्री संजीव कोहली और पंजाब के श्री मिक्की सिंह जी ने आई हुई सांगत और सारे वातावरण को भक्ति के रस से सरभोर कर दिया|
इसके बाद विश्व विख्यात,शाने पंजाब,भजन सम्राट श्री सरदूल सिकंदर जी ने माँ की स्तुति संग माँ का गुणगान आरम्भ किया,अपनी सुप्रसिद्ध माता की भेंटो से सरदूल जी ने माँ के श्रींगार,माँ के उपकार और माँ की असीम अपार कृपा का वर्णन किया,कुछ ही देर में सरदूल जी की मधुर वाणी ने ममतामयी,करुणामयी श्री राधे माँ जी को अपने दर्शनों के निर्धारित समय से पहले ही उस दिव्य प्रांगन में खींच लिया और ढोल नगाड़े,तुतारी,जय जैकारो के मध्य देवी माँ जी कमल स्वरूपी आसन पर भक्तो को कृतार्थ करने पधारीं ,उस जग से न्यारे,सुन्दर,मनमोहक आसन की झांकी देखते ही बनती थी,लगता था मानो कमलासन पर विराजमान होकर कोई महादेवी साक्षात देवलोक से पृथ्वीलोक पर पधारीं हैं,धीरे धीरे माँ की सवारी उस विशाल मंच की ओर बढ़ी और दरबार पहुच कर सबसे पहले 'श्री राधे माँ' जी ने माँ की ज्योत के पावन दर्शन कर सभी देवताओं की मूर्तियों को नमन कर अपना आसन ग्रहण किया और अपनी अमृत सामान कृपा रुपी ,करुणामयी दृष्टि से आई सांगत को निहार कर उनका कल्याण किया ,देश विदेश से पधारे माँ के अनन्य भक्त माँ की इस दिव्य दुर्लब और अप्रतिम झांकी के दर्शन कर अक्षय्पुन्य के भागी बने! करीब डेढ़ घंटे तक ममतामयी श्री राधेमा जी ने अपनी कृपामृत की बौछार से खुल्ले दर्शन दे अपने भक्तो को निहाल किया और फिर अपनी गुफा के लिया प्रस्थान किया, इसके पश्चात श्री सरदूल सिकंदर जी ने भेंटो की सेवा जारी रखी और करीब प्रातः २|३० बजे श्री विजय रजा जी एवम उनकी मण्डली ने तारा रानी की कथा का पाठ किया और आरती कर प्रसाद बाँट कर इस अश्विन मॉस की शारदेय नवरात्र की अष्टमी में माता के भव्य,दिव्य और विराट जागरण के पवित्र आयोजन को विराम दिया |
इस दिव्य जागरण को विश्व भर में माँ भक्तों ने globaladvertisers.in पर सीधे प्रसारण के माध्यम से भी देख कर आनंद प्राप्त किया |
जय माता दी |
3 comments:
Radhe Radhe,
Jai Shri Radhe
Radhe Radhe,
Jai Shri Radhe
Jai Shri Radhe Maa!!
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