किसकी पुत्री थी देवी सरस्वती? हमारे सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मदेव माता सरस्वती के पिता थे। सरस्वती पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मदेव ने सृष्टि का निर्माण करने के बाद अपने वीर्य से सरस्वती जी को जन्म दिया था। इनकी कोई माता नहीं है इसलिए यह ब्रह्मा जी की पुत्री के रूप में जानी जाती थी। वहीं मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा के पांच सिर थे। जब उन्होंने सृष्टि की रचना की तो वह इस समस्त ब्रह्मांड में बिलकुल अकेले थे। ऐसे में उन्होंने अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया।
अपनी ही पुत्री से ब्रह्मदेव हुए आकर्षित कहते हैं देवी सरस्वती इतनी रूपवन्ती थी की स्वयं ब्रह्मा जी उनके सुन्दर रूप से आकर्षित हो गए थे और उनसे विवाह करना चाहते थे। किन्तु जब माता को इस बात की भनक लगी तो वह ब्रह्मा जी से बचने के लिए चारों दिशाओं में छुपने लगीं। लेकिन उनके सारे प्रयत्न विफल हुए। अंत में उन्होंने हार मान ली और उन्हें ब्रह्मा जी के साथ विवाह करना पड़ा। माना जाता है कि ब्रह्मा जी और देवी सरस्वती पूरे सौ वर्षों तक एक जंगल में पति पत्नी की तरह रहे वहां इनके पुत्र स्वयंभु मनु का भी जन्म हुआ। मतस्य पुराण की एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती पर कुदृष्टि डाली थी तब वह इनसे बचने के लिए आकाश में जा कर छुप गई थी। तब ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने उन्हें ढूंढ निकाला, इसके बाद ब्रह्मदेव ने देवी सरस्वती से सृष्टि की रचना में सहयोग करने के लिए कहा।
तब इनके पुत्र मनु का जन्म हुआ जिसे पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है। इसके अलावा मनु को वेदों, सनातन धर्म और संस्कृत समेत समस्त भाषाओं का जनक भी कहा जाता है।
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