हिंदू देवताओं के वाहनों में पशु व पक्षियों के उपयोग को लेकर अक्सर जिज्ञासाएं उठती रही हैं। ये सभी देव शक्तियों के साथ प्रतिकात्मक है, लेकिन इनके स्थूल अर्थ ग्रहण किए जाने से प्रतीकों में जो अर्थ होता है उसे समझने में आम लोगों को मुश्किल होती है। लक्ष्मी के वाहन रूप में उल्लू की मान्यता इसी तरह की एक जिज्ञासा है। एक पौराणिक मान्यता है कि लक्ष्मीजी समुद्र से प्रकट हुई और भगवान विष्णु की सेवा में लग गईं। लक्ष्मीजी का स्वभाव चंचल माना गया।इसलिए उनकी आराधना व उपयोग के मामले में भी सावधानी की आवश्यकता होती है। लक्ष्मी का वाहन उल्लू स्वभाव से रात में देखने में सक्षम होता है। उल्लू अज्ञान का प्रतीक है। वह अंधकार में ही जाग्रत होता है। लक्ष्मी उल्लू पर बैठी है, इसका अर्थ यह है कि वे अज्ञान की सवारी करती हैं और सही ज्ञान को जाग्रत करने में सहयोगी होती हैं।यदि लक्ष्मी का उपयोग अज्ञान के साथ होगा तो वह भोग और नाश तक ही सीमित रह जाएगा।
यदि ज्ञान के साथ होगा तो दान व परोपकार की दिशा में लगेगा। संकेत यही है कि रीति से कमाया हुआ धन नीति से खर्च करें।
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Source:https://bit.ly/2ExJ0f1
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