माँ दुर्गा के 9 रूप | Maa Durga Stories in Hindi
1. शैलपुत्री Shailaputri
शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल।
2. चन्द्रघंटा Chandraganta
यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मा की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र -शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं।
3. कुष्मांडा Kushmanda
कुष्मांडा माता दुर्गा का चौथा रूप है। जब पृथ्वी पर कुछ नहीं था और हर जगह अंधकार ही अंधकार था तब माता कुष्मांडा ने सृष्टि को जन्म दिया। उस समय माता सूर्य लोक में रहती थी। ऊर्जा का सृजन भी उन्ही ने सृष्टि में किया। माता कुष्मांडा के आठ हाँथ होते हैं इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनका वाहन सिंह है और माता के हांथों मैं कमंडल, चक्र, कमल का फूल, अमृत मटका, और जप माला होते हैं।
4. स्कंदमाता Skandamata
स्कंदमाता माता दुर्गा का पांचवा रूप है। माँ दुर्गा ने देवताओं को सही मढ़ और आशीर्वाद देने के लिए भगवान् शिव से विवाह किया। असुरों और देवताओं के युद्ध होने के दौरान देवताओं को अपना एक मार्ग दर्शक नेता की जरूरत थी। शिव पारवती जी के पुत्र कार्तिक जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है देवताओं के नेता बने। कार्तिक/स्कंदा को माता पारवती माता अपने गोद में बैठा के रखती हैं अपने वाहन सिंह पर बैठे हुए इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से पूजा जाता है।उनके 4 भुजाएं हैं, ऊपर के हाथ में माता कमल का फूल पकड़ी रहती है और नीचे के एक हाथ से माँ वरदान देती हैं और दुसरे से कार्तिक को पकड़ी रखती है।
6. कात्यायनी Katyayani
माँ कात्यायनी, दुर्गा माता के छटवां रूप हैं। महर्षि कात्यायना एक महान ज्ञानी थे जो अपने आश्रम में कठोर तपस्या कर रहे थे ताकि महिषासुर का अंत हो सके। एक दिन भगवान ब्रह्मा,विष्णु, और महेश्वर एक साथ उनके समक्ष प्रकट हुए। तीनो त्रिमूर्ति ने मिलकर अपनी शक्ति से माता दुर्गा को प्रकट किया। यह आश्विन महीने के 14वें दिन पूर्ण रात्रि के समय हुआ।
माता कात्यायनी को शुद्धता की देवी माना जाता है। माता कात्यायनी के चार हाथ हैं, उनके उपरी दाहिने हाथ में वह मुद्रा प्रदर्शित करती हैं जो डर से मुक्ति देता है, और उनके नीचले दाहिने हाथ में वह आशीर्वाद मुद्रा, उपरी बाएं हाथ में वह तलवार और नीचले बाएं में कमल का फूल रखती है। उनकी पूजा आराधना करने से धन-धन्य और मुक्ति मिलती है।
7. कालरात्रि Kalaraatri
माँ कालरात्रि, दुर्गा का सातवां रूप हैं। उनका नाम काल रात्रि इसलिए है क्योंकि वह काल का भी विनाश हैं। वह सब कुछ विनाश कर सकती हैं। कालरात्रि का अर्थ है अन्धकार की रात। उनका रैंड काला होता है उनके बाद बिखरे और उड़ते हुए होते हैं। उनका शरीर अग्नि के सामान तेज़ होता है।
8. महागौरी Maha Gauri
माँ दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी। देवी पारवती का रंग सावला था और इसी कारन महादेव शिवजी उन्हें कालिके के नाम से पुकारा करते थे। बाद में माता पार्वती ने तपस्या किया जिसके कारन शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने गंगा के पानीको माता पारवती के ऊपर डाल कर उन्हें गोरा रंग दिया। तब से माता पारवती को महागौरी के नाम से पूजा जाने लगा। उनका वाहन बैल है और उनके उपरी दाहिने हाथ से माँ आशीर्वाद वरदान देती है, और निचले दायिने हाथ में त्रिशूल रखती है। उपरी बाएं हाथ में उनके डमरू होता है और निचले हाथ से वह वरदान और अशोर्वाद देती हैं।
9. सिद्धिदात्री Siddhidaatri
माता दुर्गा के नौवे रूप का नाम सिद्धिदात्री है। उनका ना ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें सिद्धि प्रदान करने की माता कहा जाता है। माता सिद्धिदात्री के अनुकम्पा सेही शिवजी को अर्धानारिश्वार का रूप मिला। उनका वाहन सिंह है और उनका आसन है कमल का फूल। उनके उपरी दायिने हाथ में माता एक गदा और निचले दायिने हाथ में चक्रम रखती है। माता अपने उपरी बाएं हाथ में एक कमल का फूल और निचले बाएं हाथ में एक शंख रखती हैं। माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी मनोस्कम्नाओं की सिद्धि देती हैं।
1. शैलपुत्री Shailaputri
शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल।
2. चन्द्रघंटा Chandraganta
यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मा की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र -शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं।
3. कुष्मांडा Kushmanda
कुष्मांडा माता दुर्गा का चौथा रूप है। जब पृथ्वी पर कुछ नहीं था और हर जगह अंधकार ही अंधकार था तब माता कुष्मांडा ने सृष्टि को जन्म दिया। उस समय माता सूर्य लोक में रहती थी। ऊर्जा का सृजन भी उन्ही ने सृष्टि में किया। माता कुष्मांडा के आठ हाँथ होते हैं इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनका वाहन सिंह है और माता के हांथों मैं कमंडल, चक्र, कमल का फूल, अमृत मटका, और जप माला होते हैं।
4. स्कंदमाता Skandamata
स्कंदमाता माता दुर्गा का पांचवा रूप है। माँ दुर्गा ने देवताओं को सही मढ़ और आशीर्वाद देने के लिए भगवान् शिव से विवाह किया। असुरों और देवताओं के युद्ध होने के दौरान देवताओं को अपना एक मार्ग दर्शक नेता की जरूरत थी। शिव पारवती जी के पुत्र कार्तिक जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है देवताओं के नेता बने। कार्तिक/स्कंदा को माता पारवती माता अपने गोद में बैठा के रखती हैं अपने वाहन सिंह पर बैठे हुए इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से पूजा जाता है।उनके 4 भुजाएं हैं, ऊपर के हाथ में माता कमल का फूल पकड़ी रहती है और नीचे के एक हाथ से माँ वरदान देती हैं और दुसरे से कार्तिक को पकड़ी रखती है।
6. कात्यायनी Katyayani
माँ कात्यायनी, दुर्गा माता के छटवां रूप हैं। महर्षि कात्यायना एक महान ज्ञानी थे जो अपने आश्रम में कठोर तपस्या कर रहे थे ताकि महिषासुर का अंत हो सके। एक दिन भगवान ब्रह्मा,विष्णु, और महेश्वर एक साथ उनके समक्ष प्रकट हुए। तीनो त्रिमूर्ति ने मिलकर अपनी शक्ति से माता दुर्गा को प्रकट किया। यह आश्विन महीने के 14वें दिन पूर्ण रात्रि के समय हुआ।
माता कात्यायनी को शुद्धता की देवी माना जाता है। माता कात्यायनी के चार हाथ हैं, उनके उपरी दाहिने हाथ में वह मुद्रा प्रदर्शित करती हैं जो डर से मुक्ति देता है, और उनके नीचले दाहिने हाथ में वह आशीर्वाद मुद्रा, उपरी बाएं हाथ में वह तलवार और नीचले बाएं में कमल का फूल रखती है। उनकी पूजा आराधना करने से धन-धन्य और मुक्ति मिलती है।
7. कालरात्रि Kalaraatri
माँ कालरात्रि, दुर्गा का सातवां रूप हैं। उनका नाम काल रात्रि इसलिए है क्योंकि वह काल का भी विनाश हैं। वह सब कुछ विनाश कर सकती हैं। कालरात्रि का अर्थ है अन्धकार की रात। उनका रैंड काला होता है उनके बाद बिखरे और उड़ते हुए होते हैं। उनका शरीर अग्नि के सामान तेज़ होता है।
8. महागौरी Maha Gauri
माँ दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी। देवी पारवती का रंग सावला था और इसी कारन महादेव शिवजी उन्हें कालिके के नाम से पुकारा करते थे। बाद में माता पार्वती ने तपस्या किया जिसके कारन शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने गंगा के पानीको माता पारवती के ऊपर डाल कर उन्हें गोरा रंग दिया। तब से माता पारवती को महागौरी के नाम से पूजा जाने लगा। उनका वाहन बैल है और उनके उपरी दाहिने हाथ से माँ आशीर्वाद वरदान देती है, और निचले दायिने हाथ में त्रिशूल रखती है। उपरी बाएं हाथ में उनके डमरू होता है और निचले हाथ से वह वरदान और अशोर्वाद देती हैं।
9. सिद्धिदात्री Siddhidaatri
माता दुर्गा के नौवे रूप का नाम सिद्धिदात्री है। उनका ना ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें सिद्धि प्रदान करने की माता कहा जाता है। माता सिद्धिदात्री के अनुकम्पा सेही शिवजी को अर्धानारिश्वार का रूप मिला। उनका वाहन सिंह है और उनका आसन है कमल का फूल। उनके उपरी दायिने हाथ में माता एक गदा और निचले दायिने हाथ में चक्रम रखती है। माता अपने उपरी बाएं हाथ में एक कमल का फूल और निचले बाएं हाथ में एक शंख रखती हैं। माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी मनोस्कम्नाओं की सिद्धि देती हैं।
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