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Friday, September 7, 2018

माँ दुर्गा नें जब नष्ट किया देवगण का अभिमान.

माँ दुर्गा नें जब नष्ट किया देवगण का अभिमान.



देवताओं और राक्षसों के बीच एक बार अत्यंत भीषण युद्ध हुआ। रक्त से सराबोर इस लड़ाई में अंततः देवगण विजयी हुए। जीत के मद में देव गण अभिमान और घमंड से भर गए। तथा स्वयं को सर्वोत्तम मानने लगे। देवताओं के इस मिथ्या अभिमान को नष्ट करने हेतु माँ दुर्गा नें तेजपुंज का रूप धारण किया और फिर देवताओं के समक्ष प्रकट हुईं। तेजपुंज विराट स्वरूप देख कर समस्त देवगण भयभीत हो उठे। और तब सभी देवताओं  के राजा इन्द्र नें वरुण देव को तेजपुंज का रहस्य जानने के लिए आगे भेजा।

तेजपुंज के सामने जा कर वरुण देव अपनी शक्तियों का बखान करने लगे। और तेजपुंज से उसका परिचय मांगने लगे। तब तेजपुंज नें वरुण देव के सामने एक अदना सा, छोटा सा तिनका रखा और उन्हे कहा की तुम वास्तव में इतने बलशाली हो जितना तुम खुद का बखान कर रहे हो तो इस तिनके को उड़ा कर दिखाओ।

वरुण देव नें एड़ी-चोटी का बल लगा दिया पर उनसे वह तिनका रत्ती भर भी हिल नहीं पाया और उनका घमंड चूर-चूर हो गया। अंत में वह वापस लौटे और उन्होने वह वास्तविकता इन्द्र देव से कही ।

इन्द्र देव नें फिर अग्नि देव को भेजा। तेजपुंज नें अग्नि देव से कहा की अपने बल और पराक्रम से इस तिनके को भस्म कर के बताइये।

अग्नि देव नें भी इस कार्य को पार लगाने में अपनी समस्त शक्ति झोंक दी। पर कुछ भी नहीं कर पाये। अंत में वह भी सिर झुकाये इन्द्र देव के पास लौट आए। इस तरह एक एक-कर के समस्त देवता तेजपुंज की चुनौती से परास्त हुए तब अंत में देव राज इन्द्र खुद मैदान में आए पर उन्हे भी सफलता प्राप्त ना हुई।

अंत में समस्त देव गण नें तेजपुंज से हार मान कर वहाँ उनकी आराधना करना शुरू कर दिया। तब तेजपुंज रूप में आई माँ दुर्गा में अपना वास्तविक रूप दिखाया और देवताओं को यह ज्ञान दिया की माँ शक्ति के आशीष से आप सब नें दानवों को परास्त किया है। तब देवताओं नें भी अपनी गलती के लिए क्षमा मांगी और अपना मिथ्या अभिमान त्याग दिया।

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