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Wednesday, July 26, 2017

श्री कृष्ण कैसे बने कालिया नाग का काल ?

वृंदावन के नजदीक एक तालाब था, जिसमें कालिया नाम का एक विशालकाय नाग अपने तमाम दूसरे सर्प साथियों के साथ रहता था।


आसपास के इलाके में रहने वालों के लिए ये नाग एक तरह का आतंक बन गए थे, क्योंकि जो कोई भी उनके नजदीक जाता, वे उसे काट लेते। इन सांपों के जहर से लोगों की मौत हो जाती। इंसान ही क्या, तालाब में पानी पीने के लिए आने वाले जानवरों को भी ये नाग काट लेते थे।

कुछ ग्वाले अपनी गायों को चराने तालाब के नजदीक ले गए। कुछ गायों ने जैसे ही तालाब का पानी पिया, सांपों ने उन्हें डस लिया और वे वहीं ढेर हो गईं। ग्वाले घबरा गए और उन्होंने रोना शुरू कर दिया क्योंकि मर चुकी गायों को लेकर घर जाने की उनके अंदर हिम्मत नहीं थी। यह सब देखकर कृष्ण ने कहा, ‘बस बहुत हो चुका। अब मैं जरा देखता हूं इस नाग को।’ जैसे लोगों से निपटने का उनका अपना एक खास अंदाज था, वैसे ही जानवरों से निपटने का भी उनका एक तरीका था। वे उस तालाब के अंदर घुसे और उन्होंने उस नाग को बाहर निकाला और उसके पीछे बाकी नाग भी बाहर आ गए।

कालिया एक भयानक विशाल नाग था। उससे निपटने के लिए कृष्ण ने तालाब में छलांग लगा दी। लोगों को लगा कि बस अब उनका अंत हो जाएगा।

कृष्ण के कूदने की वजह से पानी में जो लहरें पैदा हुईं, उनके चलते नाग तुरंत ही बाहर आ गए और मौका देखकर कृष्ण ने कालिया को दबोच लिया। उसके साथ किनारे तक तैरते हुए आए, कुछ देर तक संघर्ष चलता रहा और अंत में वे उस पर हावी हो गए। इस तरह से कृष्ण ने इस तालाब को जहरीले सांपों से मुक्त कर दिया, जिसके चलते वहां के लोग परेशान रहते थे। लोगों को लगा कि यह तो जबर्दस्त चमत्कार हो गया।

जिस वक्त कृष्ण कालिया नाग के साथ संघर्ष कर रहे थे, कुछ ग्वालों ने गांव में जाकर सबको बता दिया कि कृष्ण ने खतरनाक सांपों से भरे उस तालाब में छलांग लगा दी है। पूरा का पूरा गांव वहां इकठ्ठा हो गया। वहां जो कुछ भी हो रहा था, उसे देखकर हर कोई डरा हुआ था। माता यशोदा भी वहां आईं और जोर-जोर से रोने लगीं।

फिर राधे आईं। कृष्ण को देखकर वह चीख पड़ीं। उन्होंने कृष्ण को गले लगाया, फिर वह गिर गईं और मूर्छित हो गईं। गांव के बड़े बुजुर्गों को राधे का यह व्यवहार अच्छा नहीं लगा। उन्हें लगा कि कृष्ण के प्रति राधे का जबर्दस्त लगाव सही नहीं है और उस दिन के बाद से राधे को घर से निकलने पर ही रोक लगा दी गई। राधे भीतर ही भीतर घुटी जा रही थीं, क्योंकि अब वह कृष्ण के साथ न तो खेल सकती थीं और न नृत्य कर सकती थीं। जब कभी भी उन्हें बांसुरी की आवाज सुनाई देती या पता चलता कि रासलीला चल रही है तो वह खुद को रोक नहीं पातीं और वह भागने की कोशिश करतीं। घरवालों को जब यह पता चला तो उन्होंने राधे को खाट से बांध दिया, जिससे कि वह कहीं बाहर न जा सकें।

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