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Tuesday, June 6, 2017

|| भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ ||

|| भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ ||


कृष्ण एक किंवदंति..., एक कथा..., एक कहानी...। जिसके अनेक रूप और हर रूप की लीला अद्भुत। प्रेम को परिभाषित करने वाले, उसे जीने वाले इस माधव ने जिस क्षेत्र में हाथ रखा वहीं नए कीर्तिमान स्थापित किए।

माँ के लाड़ले, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग ईश्वर का अवतार हैं, पर वे बालक हैं तो पूरे बालक। माँ से बचने के लिए कहते हैं- मैया मैंने माखन नहीं खाया। माँ से पूछते हैं-...

मैया कबहुँ बढ़ैगी चोटी।
किती बेर मोहि दूध पियत भइ यह अजहूँ है छोटी।'

यहाँ तक कि मुख में पूरी पृथ्वी दिखा देने, न जाने कितने मायावियों, राक्षसों का संहार कर देने के बाद भी माँ यशोदा के लिए तो वे घुटने चलते लल्ला ही थे जिनका कभी किसी काम में कोई दोष नहीं होता। सूर के...

श्रीकृष्ण के व्यक्तित्व के अनेक पहलू हैं। वे माँ के सामने रूठने की लीलाएँ करने वाले बालकृष्ण हैं तो अर्जुन को गीता का ज्ञान देने वाले योगेश्वर कृष्ण। इस व्यक्तित्व का सर्वाधिक आकर्षक पहलू दूसरे के...

अपनी बहन के संबंध में लिए गए अपने दाऊ (बलराम) के उस निर्णय का उन्होंने प्रतिकार किया जब दाऊ ने यह तय कर लिया कि वह बहन सुभद्रा का विवाह अपने प्रिय शिष्य दुर्योधन के साथ करेंगे। तब कृष्ण ही ऐसा कह सकते...

राजसूय यज्ञ में पत्तल उठाने वाले, अपने रथ के घोड़ों की स्वयं सुश्रूषा करने वाले कान्हा के लिए कोई भी कर्म निषिद्ध नहीं है।

महाभारत युद्ध, जिसके नायक भी वे हैं पर कितनी अनोखी बात है कि इस युद्ध में उन्होंने शस्त्र नहीं उठाए! इस अनूठे व्यक्तित्व को किस ओर पकड़ो कि यह अंक में समा जाए पर कोशिश हर बार अधूरी ही रह जाती है।...

कितनी बड़ी प्रतीक कथा है जिसमें श्रीकृष्ण ने तय किया कि अब सुधार असंभव है। जब राजभवन में ही स्त्रियों की यह स्थिति है तो बाकी समाज का क्या हाल होगा। राज-दरबार में ही राजवधू का चीरहरण सारे कथित प्रबुद्ध...
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