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Wednesday, September 11, 2019

केरल का खास पर्व है ओणम

केरल का खास पर्व है ओणम


उत्सवों की श्रृंखला के बीच रविवार को ओणम महोत्सव की शुरुआत हुई। उत्सव का विभिन्न स्थानों पर फूलों की आकर्षक रंगोली बनाकर स्वागत किया गया। लोगों का विश्वास है कि तिरुओणम वह अवसर है जब सम्राट महाबली की आत्मा केरल की यात्रा करती है। इस उपलक्ष्य में स्थान-स्थान पर सहभोज और उत्सव का आयोजन होता है। केरल में बड़े पैमाने पर इस पर्व को मनाते हैं।


केरल के प्रसिद्ध त्योहार 'ओणम' के माध्यम से नई संस्कृति को जानने का मौका मिलता है। इस अवसर पर महिलाओं द्वारा आकर्षक 'ओणमपुक्कलम' (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है। और केरल की प्रसिद्ध 'आडाप्रधावन' (खीर) का वितरण किया जाता है। ओणम के उपलक्ष्य में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम तथा खेल-कूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। इन प्रतियोगिताओं में लोकनृत्य, शेरनृत्य, कुचीपु़ड़ी, ओडि़सी, कथक नृत्य प्रतियोगिताएँ प्रमुख हैं।
पुराणों में ओणम : ओणम त्योहार सम्राट महाबली से जु़ड़ा है। यह पर्व उनके सम्मान में मनाया जाता है। लोगों का विश्वास है कि भगवान विष्णु के पाँचवें अवतार 'वामन' ने चिंगम मास के इस दिन सम्राट महाबली के राज्य में प्रकट होकर उन्हें पाताललोक भेजा था।
इतिहास की नजर में : माना जाता है कि ओणम पर्व का प्रारंभ संगम काल के दौरान हुआ था। उत्सव से संबंधित अभिलेख कुलसेकरा पेरुमल (800 ईस्वी) के समय से मिलते हैं। उस समय ओणम पर्व पूरे माह चलता था।

ओणम केरल का महत्वपूर्ण पर्व है। यह त्योहार फसलों की कटाई से संबंधित है। शहर में इस त्योहार को सभी समुदाय के लोग हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। ओणम मलयालम कैलेंडर के पहले माह 'चिंगम' के प्रारंभ में मनाया जाता है। यह पर्व चार से दस दिनों तक चलता है जिसमें पहला और दसवाँ दिन सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है।

Friday, September 6, 2019

क्यों आए भगवान शिव, महाकाली के पैरों के नीचे?

क्यों आए भगवान शिव, महाकाली के पैरों के नीचे?


भगवती दुर्गा की दस महाविद्याओं में से एक हैं महाकाली। जिनके काले और डरावने रूप की उत्पति राक्षसों का नाश करने के लिए हुई थी। यह एक मात्र ऐसी शक्ति हैं जिन से स्वयं काल भी भय खाता है। उनका क्रोध इतना विकराल रूप ले लेता है की संपूर्ण संसार की शक्तियां मिल कर भी उनके गुस्से पर काबू नहीं पा सकती। उनके इस क्रोध को रोकने के लिए स्वयं उनके पति भगवान शंकर उनके चरणों में आ कर लेट गए थे। इस संबंध में शास्त्रों में एक कथा वर्णित हैं जो इस प्रकार है-

दैत्य रक्तबिज ने कठोर तप के बल पर वर पाया था की अगर उसके खून की एक बूंद भी धरती पर गिरेगी तो उस से अनेक दैत्य पैदा हो जाएंगे। उसने अपनी शक्तियों का प्रयोग निर्दोष लोगों पर करना शुरू कर दिया। धीरे धीरे उसने अपना आतंक तीनों लोकों पर मचा दिया। देवताओं ने उसे युद्ध के लिए ललकारा। भयंकर युद्ध का आगाज हुआ। देवता अपनी पूरी शक्ति लगाकर रक्तबिज का नाश करने को तत्पर थे मगर जैसे ही उसके शरीर की एक भी बूंद खून धरती पर गिरती उस एक बूंद से अनेक रक्तबीज पैदा हो जाते।

सभी देवता मिल कर महाकाली की शरण में गए। मां काली असल में सुन्दरी रूप भगवती दुर्गा का काला और डरावना रूप हैं, जिनकी उत्पत्ति राक्षसों को मारने के लिए ही हुई थी। महाकाली ने देवताओं की रक्षा के लिए विकराल रूप धारण कर युद्ध भूमी में प्रवेश किया। मां काली की प्रतिमा देखें तो देखा जा सकता है की वह विकराल मां हैं। जिसके हाथ में खप्पर है,लहू टपकता है तो गले में खोपड़ीयों की माला है मगर मां की आंखे और ह्रदय से अपने भक्तों के लिए प्रेम की गंगा बहती है।

महाकाली ने राक्षसों का वध करना आरंभ किया लेकिन रक्तबीज के खून की एक भी बूंद धरती पर गिरती तो उस से अनेक दानवों का जन्म हो जाता जिससे युद्ध भूमी में दैत्यों की संख्या बढ़ने लगी। तब मां ने अपनी जिह्वा का विस्तर किया। दानवों का एक बूंद खून धरती पर गिरने की बजाय उनकी जिह्वा पर गिरने लगा। वह लाशों के ढेर लगाती गई और उनका खून पीने लगी। इस तरह महाकाली ने रक्तबीज का वध किया लेकिन तब तक महाकाली का गुस्सा इतना विक्राल रूप से चुका था की उनको शांत करना जरुरी था मगर हर कोई उनके समीप जाने से भी डर रहा था।

सभी देवता भगवान शिव के पास गए और महाकाली को शांत करने के लिए प्रार्थना करने लगे। भगवान् शिव ने उन्हें बहुत प्रकार से शांत करने की कोशिश करी जब सभी प्रयास विफल हो गए तो वह उनके मार्ग में लेट गए। जब उनके चरण भगवान शिव पर पड़े तो वह एकदम से ठिठक गई। उनका क्रोध शांत हो गया। आदि शक्ति मां दुर्गा के विविध रूपों का वर्णन मारकण्डेय पुराण में वर्णित है।





Thursday, September 5, 2019

शिक्षक का महत्व

बुद्धिमान को बुद्धि देती और अज्ञानी को ज्ञान
शिक्षा से ही बन सकता हैं मेरा देश महान..||


आज बस लोग शिक्षक दिवस पर भाषण देते है और शिक्षकों को भूल जाते है। सोशल मीडिया पर शिक्षकों के बारे में कुछ पोस्ट डालते है और भूल जाते है। लोग शिक्षकों से सीखने के बजाय उन्हें भूल जाते हैं।

स्कूल में छात्र शिक्षक दिवस के अवसर का खूब जश्न मनाते है और शिक्षकों का सम्मान करते है, बहुत अच्छी बात है पर इससे भी अच्छा शिक्षकों के पाठों का पालना करना।

शिक्षकों को खुशी तब मिलती है जब एक छात्र अच्छा इंसान बन जाता है और अपने कैरियर और बिज़नस में सफल हो जाता है। वैसे सभी शिक्षक शिक्षा में समान नहीं है और सभी छात्र भी आधुनिक युग में शिष्य और गुरू की तरह नहीं है। जबकि कुछ शिक्षक महान होते है जो हमेशा अपने छात्रों के दिलों में रहते हैं।

छात्र सलाह और मार्गदर्शन के लिए शिक्षकों पर निर्भर रहते है। छात्र न केवल अकादमिक पाठों में बल्कि वे अपने जीवन के पाठों का पालन करने में भी रूचि रखते हैं की कैसे उन्हें जीवन में आगे निकलना है। यही कारण है की शिक्षकों के लिए छात्रों को अच्छी आदतों का पालन करने के लिए उत्साह करना बेहद जरूरी है।

हर किसी के जीवन में शिक्षा जरूरी है क्योंकि शिक्षा जीवन के विभिन्न चरणों में विभिन्न भूमिका निभाती है। इसलिए यह जरूरी है की लोग शिक्षकों के महत्व को जानें और उनके सबक का पालन करें।

हमें जीवन के हर कदम पर शिक्षकों की जरूरत है। शिक्षक ने केवल छात्रों के लिए बल्कि समाज के लिए महत्वपूर्ण है। किसी भी बैठक और सामाजिक गतिविधियों में शिक्षकों की उपस्थिति नैतिकता को बढ़ावा देती है और समय को और अधिक मूल्यवान बनाती हैं।

माँ-बाप भी शिक्षक कहलाते है जब उनके बच्चे वो बन जाते है जो उन्हें वे बनाना चाहते थे। शिक्षक ने केवल इंसान है बल्कि वे प्राकृतिक पौधों की तरह है। ऐसे ही एक नेता भी एक शिक्षक होता है क्योंकि वो सिखाता है की कैसे कंपनी का नेतृत्व करना हैं।

शिक्षक हमें एक अच्छा इंसान बनने में मदद करते है। अच्छा इंसान समाज के विकास में योगदान दे सकता है। अच्छे लोगों के साथ एक विकसित समाज दूसरों को सफल और खुश होने में मदद करता हैं। इसलिए हमें स्कूलों में उन शिक्षकों की आवश्यकता है जो देश के भविष्य के बारे में सोचते है।

एक शिक्षक एक महान नेता बनने में मदद करता है और महान नेता एक महान राष्ट्र बनाता है। नेता एक व्यक्ति के व्यक्तिगत विकास में एक बाद भूमिका निभाता है। एक महान नेता हजारों लोगों को सही दिशा पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है। सभी अच्छे नेता इस बात से इंकार नहीं करेंगे की यह कौशल उन्होंने शिक्षकों से सिखा हैं।

कुछ छात्र महान है ऐसा नहीं है की वे महानता के साथ पैदा हुए है। वे महान बने है क्योंकि शिक्षकों ने उन्हें आज बनने में मदद की है। यही कारण है की हमारे जीवन में शिक्षक महान इंसान है जो भविष्य के बारे में जानते हैं।

एक छात्र शिक्षकों के हाथों में गीली मिट्टी की तरह है जिसको वे कोई भी आकार दे सकते है। अगर एक छात्र को अच्छी तरह से पढ़ाया जाता है तो वह समाज के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन जाता है। अगर गलत सिखाया जाता है तो वो विनाश का हथियार बन सकता है।

लेकिन सभी कॉलेजों और शिक्षकों को छात्रों के नैतिक मूल्यों को बढ़ाने में दिलचस्पी नहीं है। जिन कॉलेजों में शिक्षक छात्रों को सिर्फ पैसे के लिए शिक्षा दे रहे है।

इस तरह के पैसों के प्रेमी शिक्षक छात्रों के कैरियर को गलत रास्ते पर चला रहे है। इस प्रकार के शिक्षक भ्रष्ट नेताओं, डॉक्टरों, नौकरशाहों का उत्पादन करते है।

इसलिए शिक्षक के महत्व को समझने के साथ साथ छात्रों के माता-पिता को यह भी ध्यान में रखना चाहिए की उन्हें अपने बच्चे को एक ऐसे स्कूल में सौंपना चाहिए जहाँ महान शिक्षक, पेशेवर, व्यक्तिगत और सामजिक व्यवहार वाले शिक्षक हों।

यह भी जरूरी है की सभी शिक्षकों को सरकार की तरह से सामाजिक और आर्थिक मदद मिलनी चाहिए। क्योंकि अगर वे पैसे, खराब वित्तीय स्थितियों के बारे में चिंतित रहेंगे तो उनके लिए छात्रों को पढ़ाना मुश्किल हैं। इसलिए किसी भी राष्ट्र के लिए जरूरी है की वे शिक्षकों के लिए पर्याप्त सुविधाएँ और केंद्रित शैकक्षणिक विकास कार्य प्रदान करें।

आज हमें शिक्षकों का साम्मान और उनके प्रयास और योगदान की सराहना करने की आवश्यकता है। शिक्षकों को सरकार से सुरक्षा की जरूरत है। शिक्षको छात्रों को शिक्षित करने के लिए बुनियादी ढांचों की आवश्यकता है।

गुरू ब्रम्हा, गुरू विष्णु, गुरू देवो महेश्वरा, गुरू साक्षात परम्ब्रम्ह तस्मय श्री गुरूवनमः
#हैप्पीटीचर्सडे

Tuesday, September 3, 2019

ऋषि पंचमी मासिक धर्म से जुड़ी है इस व्रत की कथा

ऋषि पंचमी व्रत की कथा:-




आज है ऋषि पंचमी। शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पंचमी को सप्त ऋषि पूजन व्रत किया जाता है। यह व्रत जाने-अनजाने हुए पापों से मुक्ति के लिए रखा जाता है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी खास महत्व होता है।

विदर्भ देश में एक सदाचारी ब्राह्मण रहता था। उसकी पत्नी बड़ी पतिव्रता थी, जिसका नाम सुशीला था। उस ब्राह्मण के एक पुत्र और एक पुत्री दो संतान थी। विवाह योग्य होने पर उसने समान कुलशील वर के साथ कन्या का विवाह कर दिया। दैवयोग से कुछ दिनों बाद वह विधवा हो गई। दुखी ब्राह्मण दम्पति कन्या सहित गंगा तट पर कुटिया बनाकर रहने लगे।

एक दिन ब्राह्मण कन्या सो रही थी कि उसका शरीर कीड़ों से भर गया। कन्या ने सारी बात मां से कही। मां ने पति से सब कहते हुए पूछा- प्राणनाथ! मेरी साध्वी कन्या की यह गति होने का क्या कारण है?

ब्राह्मण ने समाधि द्वारा इस घटना का पता लगाकर बताया- पूर्व जन्म में भी यह कन्या ब्राह्मणी थी। इसने रजस्वला होते ही बर्तन छू दिए थे। इस जन्म में भी इसने लोगों की देखा-देखी ऋषि पंचमी का व्रत नहीं किया। इसलिए इसके शरीर में कीड़े पड़े हैं।

धर्म-शास्त्रों की मान्यता है कि रजस्वला स्त्री पहले दिन चाण्डालिनी, दूसरे दिन ब्रह्मघातिनी तथा तीसरे दिन धोबिन के समान अपवित्र होती है। वह चौथे दिन स्नान करके शुद्ध होती है। यदि यह शुद्ध मन से अब भी ऋषि पंचमी का व्रत करें तो इसके सारे दुख दूर हो जाएंगे और अगले जन्म में अटल सौभाग्य प्राप्त करेगी।

पिता की आज्ञा से पुत्री ने विधिपूर्वक ऋषि पंचमी का व्रत एवं पूजन किया। व्रत के प्रभाव से वह सारे दुखों से मुक्त हो गई। अगले जन्म में उसे अटल सौभाग्य सहित अक्षय सुखों का भोग मिला।

Source :- https://bit.ly/2lwAqaj


Friday, August 30, 2019

कैसे एकदंत हो गए भगवान गणेश?


कैसे एकदंत हो गए भगवान गणेश :- 


ब्रह्मवैवर्त पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु के अवतार परशुराम शिव के शिष्य थे। जिस फरसे से उन्होंने 17 बार क्षत्रियों को धरती से समाप्त किया था, वो अमोघ फरसा शिव ने ही उन्हें प्रदान किया था। 17 बार क्षत्रियों को हराने के बाद ब्राह्मण परशुराम शिव और पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश पर्वत पर गए। उस समय भगवान शिव शयन कर रहे थे और पहरे पर स्वयं गणेश थे। गणेश ने परशुराम को रोक लिया। परशुराम को क्रोध बहुत जल्दी आता था।

वे रोके जाने पर गणेश से झगड़ने लगे। बात-बात में झगड़ा इतना बढ़ गया कि परशुराम ने गणेश को धक्का दे दिया। गिरते ही गणेश को भी क्रोध गया। परशुराम ब्राह्मण थे, सो गणेश उन पर प्रहार नहीं करना चाहते थे। उन्होंने परशुराम को अपनी सूंड से पकड़ लिया और चारों दिशाओं में गोल-गोल घूमा दिया। घूमते-घूमते ही गणेश ने परशुराम को अपने कृष्ण रूप के दर्शन भी करवा दिए। कुछ पल घुमाने के बाद गणेश ने उन्हें छोड़ दिया।

छोड़े जाने के थोड़ी देर तक तो परशुराम शांत रहे। बाद में परशुराम को अपने अपमान का आभास हुआ तो उन्होंने अपने फरसे से गणेश पर वार किया। फरसा शिव का दिया हुआ था सो गणेश उसके वार को विफल जाने नहीं देना चाहते थे, ये सोचकर उस वार को उन्होंने अपने एक दांत पर झेल लिया। फरसा लगते ही दांत टूटकर गिर गया। इस बीच कोलाहल सुन कर शिव भी शयन से बाहर गए और उन्होंने दोनों को शांत करवाया। तब से गणेश को एक ही दांत रह गया और वे एकदंत कहलाने लगे।

Wednesday, August 28, 2019

कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं !!

कृष्ण को गोविंद क्यों कहते हैं !!



भगवान कृष्ण के पास एक कामधेनु नामक गाय स्वर्ग से पहुंची। उस गाय ने कृष्ण को बताया कि वह देव लोक से उनका अभिषेक करने आई है क्योंकि कृष्ण पृथ्वी पर गायों की रक्षा कर रहे हैं।

उस गाय ने कृष्ण को पवित्र जल से नहलाया और उनका दिल से शुक्रिया अदा किया। उसी समय भगवान इंद्र अपने हाथी ऐरावत पर विराजमान होकर वहां प्रस्तुत हुए और उन्होंने श्रीकृष्ण को आशीर्वाद दिया और कहा कि आपके इन पुण्य कार्यों के लिए पूरे विश्व के लोग आपको गोविंद के नाम से जानेंग।

Wednesday, August 7, 2019

श्री राम कथा - भाग 7 | Shri Ram Katha - Sant Asant Vandana | Ramayan- Sh...





श्री राम कथा - भाग 7 | Shri Ram Katha - Sant Asant Vandana | Ramayan- Shri Radhe Maa


Friday, August 2, 2019

माँ दुर्गा के 9 अवतारों की कहानियाँ | Maa Durga Stories |


माँ दुर्गा के 9 रूप हैं जिनकी कहानियाँ आप इस पोस्ट में पढ़ सकते हैं –

शैलपुत्री Shailaputri

शैलपुत्री देवी दुर्गा का प्रथम रूप है। वह पर्वतों के राजा – हिमालय की पुत्री हैं। राजा हिमालय और उनकी पत्नी मेनाका ने कई तपस्या की जिसके फल स्वरुप माता दुर्गा उनकी पुत्री के रूप में पृथ्वी पर उतरी। तभी उनका नाम शैलपुत्री रखा गया यानी (शैल = पर्वत और पुत्री = बेटी)। माता शैलपुत्री का वाहन है बैल तथा उनके दायें हाँथ में होता है त्रिशूल और बाएं हाँथ में होता है कमल का फूल।
दक्ष यज्ञ में पवित्र माँ ने सती के रूप में अपने शरीर को त्याग दिया। उसके पश्चात माँ दोबारा भगवान शिव जी की दिव्य पत्नी बनी। उनकी कहानी बहुत ही प्रेरणा देती है।

ब्रह्मचारिणी Brahmacharini

(ब्रह्म = तपस्या), माता दुर्गा इस रूप में वह अपने दायें हाथ में एक जप माला पकड़ी रहती है और बाएं हाथ में एक कमंडल। नारद मुनि के सलाह देंने पर माता ब्रह्मचारिणी ने शिवजी को पाने के लिए कठोर तपस्या किया। पवित्र माता में बहुत ही ज्यादा शक्ति है।
मुक्ति प्राप्त करने के लिए माता शक्ति ने ब्रह्म ज्ञान को ज्ञात किया और उसी कारण से उनको ब्रह्मचारिणी के नाम से पूजा जाता है। माता अपने भक्तों को सर्वोच्च पवित्र ज्ञान प्रदान करती हैं।

चन्द्रघंटा Chandraganta

यह माता दुर्गा का तीसरा रूप है। चंद्र यानी की चंद्र की रोशनी। यह परम शांति प्रदान करने वाला माँ का रूप है। मा की आराधना करने से सुख शांति मिलता है। वह तेज़ स्वर्ण के समान होता है और उनका वाहन सिंह होता है। उनके दस हाँथ हैं और कई प्रकार के अस्त्र -शस्त्र जैसे कडग, बांड, त्रिशूल, पद्म फूल उनके हांथों में होते हैं।
माँ चन्द्रघंटा की पूजा आराधना करने से पाप और मुश्किलें दूर होती हैं उनकी घाटियों की भयानक आवाज़ से राक्षस भाग खड़े होते हैं।

कुष्मांडा Kushmanda

कुष्मांडा माता दुर्गा का चौथा रूप है। जब पृथ्वी पर कुछ नहीं था और हर जगह अंधकार ही अंधकार था तब माता कुष्मांडा ने सृष्टि को जन्म दिया। उस समय माता सूर्य लोक में रहती थी। ऊर्जा का सृजन भी उन्ही ने सृष्टि में किया। 
माता कुष्मांडा के आठ हाँथ होते हैं इसलिए उन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता है। उनका वाहन सिंह है और माता के हांथों मैं कमंडल, चक्र, कमल का फूल, अमृत मटका, और जप माला होते हैं।
माता कुष्मांडा शुद्धता की देवी हैं, उनकी पूजा करने से सभी रोग और दुख-कष्ट दूर होते हैं।

स्कंदमाता Skandamata

स्कंदमाता माता दुर्गा का पांचवा रूप है। माँ दुर्गा ने देवताओं को सही मढ़ और आशीर्वाद देने के लिए भगवान् शिव से विवाह किया। असुरों और देवताओं के युद्ध होने के दौरान देवताओं को अपना एक मार्ग दर्शक नेता की जरूरत थी। शिव पारवती जी के पुत्र कार्तिक जिन्हें स्कंद भी कहा जाता है देवताओं के नेता बने।
कार्तिक/स्कंदा को माता पारवती माता अपने गोद में बैठा के रखती हैं अपने वाहन सिंह पर बैठे हुए इसलिए उन्हें स्कंदमाता के नाम से पूजा जाता है।उनके 4 भुजाएं हैं, ऊपर के हाथ में माता कमल का फूल पकड़ी रहती है और नीचे के एक हाथ से माँ वरदान देती हैं और दुसरे से कार्तिक को पकड़ी रखती है।
स्कंदमाता के पूजा से भक्तों के सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

कात्यायनी Katyayani

माँ कात्यायनी, दुर्गा माता के छटवां रूप हैं। महर्षि कात्यायना एक महान ज्ञानी थे जो अपने आश्रम में कठोर तपस्या कर रहे थे ताकि महिषासुर का अंत हो सके। एक दिन भगवान ब्रह्मा,विष्णु, और महेश्वर एक साथ उनके समक्ष प्रकट हुए। तीनो त्रिमूर्ति ने मिलकर अपनी शक्ति से माता दुर्गा को प्रकट किया। यह आश्विन महीने के 14वें दिन पूर्ण रात्रि के समय हुआ।
महर्षि कात्यायना वह पहले व्यक्ति थे जिन्होंने माता दुर्गा की पूजा की थी इसलिए माता दुर्गा का नाम माँ कात्यायनी कहा जाता है और आश्विन माह के पूर्ण उज्वाल रात्रि सातवें, आठवें और नौवे दिन नवरात्री का त्यौहार मनाया जाता है। दसवें दिन को महिषासुर का अंत मानया जाता है।
माता कात्यायनी को शुद्धता की देवी माना जाता है। माता कात्यायनी के चार हाथ हैं, उनके उपरी दाहिने हाथ में वह मुद्रा प्रदर्शित करती हैं जो डर से मुक्ति देता है, और उनके नीचले दाहिने हाथ में वह आशीर्वाद मुद्रा, उपरी बाएं हाथ में वह तलवार और नीचले बाएं में कमल का फूल रखती है। उनकी पूजा आराधना करने से धन-धन्य और मुक्ति मिलती है।

कालरात्रि Kalaraatri

माँ कालरात्रि, दुर्गा का सातवां रूप हैं। उनका नाम काल रात्रि इसलिए है क्योंकि वह काल का भी विनाश हैं। वह सब कुछ विनाश कर सकती हैं। कालरात्रि का अर्थ है अन्धकार की रात। उनका रैंड काला होता है उनके बाद बिखरे और उड़ते हुए होते हैं। उनका शरीर अग्नि के सामान तेज़ होता है।
उनका वहां गधा है और उनके ऊपर दायिने हाथ में वह आशीर्वाद देती मुद्रा में होती हैं और निचले दायिने हाथ में माँ निडरता प्रदान करती है। उनके ऊपर बाएं हाथ में गदा और निचले बाएं हाथ में लोहे की कटार रखती हैं।
उनका प्रचंड रूप बहुत भयानक है परन्तु वह अपने भक्तों की हमेशा मदद करती है इसलिए उनका एक और नाम है भायांकारी भी है। उनकी पूजा करने से भूत, सांप, आग, बाढ़ और भयानक जानवरों के भय से मुक्ति मिलती है।

महागौरी Maha Gauri

माँ दुर्गा का आठवां रूप है महागौरी। देवी पारवती का रंग सावला था और इसी कारन महादेव शिवजी उन्हें कालिके के नाम से पुकारा करते थे। बाद में माता पार्वती ने तपस्या किया जिसके कारन शिवजी प्रसन्न हुए और उन्होंने गंगा के पानीको माता पारवती के ऊपर डाल कर उन्हें गोरा रंग दिया। तब से माता पारवती को महागौरी के नाम से पूजा जाने लगा।
उनका वाहन बैल है और उनके उपरी दाहिने हाथ से माँ आशीर्वाद वरदान देती है, और निचले दायिने हाथ में त्रिशूल रखती है। उपरी बाएं हाथ में उनके डमरू होता है और निचले हाथ से वह वरदान और अशोर्वाद देती हैं।
महागौरी की पूजा आराधना करने वाले भक्तों को भ्रम से मुक्ति, जीवन में दुख कष्ट का अंत होता है।

सिद्धिदात्री Siddhidaatri

माता दुर्गा के नौवे रूप का नाम सिद्धिदात्री है। उनका ना ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें सिद्धि प्रदान करने की माता कहा जाता है। माता सिद्धिदात्री के अनुकम्पा सेही शिवजी को अर्धानारिश्वार का रूप मिला। उनका वाहन सिंह है और उनका आसन है कमल का फूल।
उनके उपरी दायिने हाथ में माता एक गदा और निचले दायिने हाथ में चक्रम रखती है। माता अपने उपरी बाएं हाथ में एक कमल का फूल और निचले बाएं हाथ में एक शंख रखती हैं। माता सिद्धिदात्री अपने भक्तों की सभी मनोस्कम्नाओं की सिद्धि देती हैं।
Source:http://bit.ly/2YBY431
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Thursday, August 1, 2019

भगवन शिव और माता पारवती की कहानी |




माता पार्वती शिव जी को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप कर रही थीं। उनके तप को देखकर देवताओं ने शिव जी से देवी की मनोकामना पूर्ण करने की प्रार्थना की।

शिव जी ने पार्वती जी की परीक्षा लेने सप्तर्षियों को भेजा।
सप्तर्षियों ने शिव जी के सैकड़ों अवगुण गिनाए पर पार्वती जी को महादेव के अलावा किसी और से विवाह मंजूर न था।

विवाह से पहले सभी वर अपनी भावी पत्नी को लेकर आश्वस्त होना चाहते हैं। इसलिए शिव जी ने स्वयं भी पार्वती की परीक्षा लेने की ठानी।

भगवान शंकर प्रकट हुए और पार्वती को वरदान देकर अंतर्ध्यान हुए। इतने में जहां वह तप कर रही थीं, वही पास में तालाब में मगरमच्छ ने एक लड़के को पकड़ लिया।

लड़का जान बचाने के लिए चिल्लाने लगा। पार्वती जी से उस बच्चे की चीख सुनी न गई। द्रवित हृदय होकर वह तालाब पर पहुंचीं। देखती हैं कि मगरमच्छ लड़के को तालाब के अंदर खींचकर ले जा रहा है।

लड़के ने देवी को देखकर कहा- मेरी न तो मां है न बाप, न कोई मित्र... माता आप मेरी रक्षा करें.. .

पार्वती जी ने कहा- हे ग्राह ! इस लडके को छोड़ दो। मगरमच्छ बोला- दिन के छठे पहर में जो मुझे मिलता है, उसे अपना आहार समझ कर स्वीकार करना, मेरा नियम है।

ब्रह्मदेव ने दिन के छठे पहर इस लड़के को भेजा है। मैं इसे क्यों छोडूं ?

पार्वती जी ने विनती की- तुम इसे छोड़ दो। बदले में तुम्हें जो चाहिए वह मुझसे कहो।

मगरमच्छ बोला- एक ही शर्त पर मैं इसे छोड़ सकता हूं। आपने तप करके महादेव से जो वरदान लिया, यदि उस तप का फल मुझे दे दोगी तो मैं इसे छोड़ दूंगा।

पार्वती जी तैयार हो गईं। उन्होंने कहा- मैं अपने तप का फल तुम्हें देने को तैयार हूं लेकिन तुम इस बालक को छोड़ दो।
मगरमच्छ ने समझाया- सोच लो देवी, जोश में आकर संकल्प मत करो। हजारों वर्षों तक जैसा तप किया है वह देवताओं के लिए भी संभव नहीं।

उसका सारा फल इस बालक के प्राणों के बदले चला जाएगा।

पार्वती जी ने कहा- मेरा निश्चय पक्का है। मैं तुम्हें अपने तप का फल देती हूं। तुम इसका जीवन दे दो।

मगरमच्छ ने पार्वती जी से तपदान करने का संकल्प करवाया। तप का दान होते ही मगरमच्छ का देह तेज से चमकने लगा।

मगर बोला- हे पार्वती, देखो तप के प्रभाव से मैं तेजस्वी बन गया हूं। तुमने जीवन भर की पूंजी एक बच्चे के लिए व्यर्थ कर दी। चाहो तो अपनी भूल सुधारने का एक मौका और दे सकता हूं।

पार्वती जी ने कहा- हे ग्राह ! तप तो मैं पुन: कर सकती हूं, किंतु यदि तुम इस लड़के को निगल जाते तो क्या इसका जीवन वापस मिल जाता ?

देखते ही देखते वह लड़का अदृश्य हो गया। मगरमच्छ लुप्त हो गया।

पार्वती जी ने विचार किया- मैंने तप तो दान कर दिया है। अब पुन: तप आरंभ करती हूं। पार्वती ने फिर से तप करने का संकल्प लिया।

भगवान सदाशिव फिर से प्रकट होकर बोले- पार्वती, भला अब क्यों तप कर रही हो?

पार्वती जी ने कहा- प्रभु ! मैंने अपने तप का फल दान कर दिया है। आपको पतिरूप में पाने के संकल्प के लिए मैं फिर से वैसा ही घोर तप कर आपको प्रसन्न करुंगी।
महादेव बोले- मगरमच्छ और लड़के दोनों रूपों में मैं ही था। तुम्हारा चित्त प्राणिमात्र में अपने सुख-दुख का अनुभव करता है या नहीं, इसकी परीक्षा लेने को मैंने यह लीला रची। अनेक रूपों में दिखने वाला मैं एक ही एक हूं। मैं अनेक शरीरों में, शरीरों से अलग निर्विकार हूं। तुमने अपना तप मुझे ही दिया है इसलिए अब और तप करने की जरूरत नहीं....

देवी ने महादेव को प्रणाम कर प्रसन्न मन से विदा किया।

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                                                                                                                                                                                                  Source:http://bit.ly/2SVRnaZ


Tuesday, July 30, 2019

इसलिए सिकंदर ने अमृत नहीं पीया | वक़्त का सिकंदर - Alexander The Great ...





इसलिए सिकंदर ने अमृत नहीं पीया

Know why Sikander did not drink Amrit



#AlexanderTheGreat #ShriRadheMaa

Wednesday, July 24, 2019

Shree Radhe Maa Ji Distributes Raincoats In Lokhandwala, Andheri





Mamtamai Shri Radhe Maa Ji was seen in a glimpse of distributing raincoats in the evening at Lokhandwala, Andheri on 7th July 2019. The distributions happened on a large scale witnessing a massive assembly of people waiting in lines to get the raincoats. The monsoon fall in Mumbai has risen over time, and most people have had issues since they do not have a protective cover shielding them through the rains. Radhe Maa Ji has always stood on the edge to help mankind in whatever way possible. She witnessed this plight of people, underprivileged and poor to get the need for raincoats fulfilled. Hence, she took it upon herself to get on the roads and make her valuable contributions to help them relief of their this problem. People thanked her and took her blessings. No wonder, she is rightly called an ocean of kindness. Time and again she has proved this through all her gestures and acts of generosity.



Monday, July 22, 2019

Shiva's Savan Best Wishes | श्रवण मास की हार्दिक शुभकामनाएं - Shri Radhe...





आज 17 जुलाई 2019 से सावन की शुरुआत हो रही है। हिन्दू धर्म और संस्कृति में सावन को सबसे पवित्र महीने का दर्जा हासिल है। इसे भगवान शिव का महीना कहा गया है ।




Tuesday, July 16, 2019

Guru Kya Hai - Know Significance | गुरु का महत्व - Importance of Guru |G...





SRMCS To Distribute One Lakh School Bags To Children Across India With The Blessings Of Shri Radhe Maa



Shri Radhe Maa Charitable Society to distribute one lakh school bags to children across india with the blessings of Shri Radhe Maa.


Friday, July 12, 2019

Free Food, Books & Clothes Distribution to Childrens Of Madhyamik Ashram...





Shri Radhe Maa Charitable Trust Distributes Free Food, Books & Clothes to Childrens Of Madhyamik Ashramshaala Parli, Wada with blessings of Shri Radhe Maa.




Thursday, July 11, 2019

रामायण भाग 4 | Ramcharitmanas - Sant Ki Mahima | Shri Radhe Maa





रामायण भाग 4 | Ramcharitmanas - Sant Ki Mahima  | Shri Radhe Maa



Ramcharitmanas - Sant Ki Mahima

रामचरितमानस - संत  की  महिमा

गोस्वामी  तुलसीदास द्वारा रचित |



रामचरितमानस  - ममतामयी श्री राधे माँ जी की असीम कृपा से अनंत आचार्यजी महाराज द्वारा प्रस्तुत ।



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Tuesday, July 9, 2019

Monday, July 8, 2019

Shri Radhe Maa Donates Bags And Books To Childrens Of Pragati Vidyalaya -P2







Shri Radhe Maa Donates Bags And Books To Childrens Of Pragati Vidyalaya -P2




Shree Radhe Maa Ji Distributes Raincoats In Lokhandwala, Andheri





Shree Radhe Maa Ji Distributes Raincoats In Lokhandwala, Andheri



Mamtamai Shri Radhe Maa Ji was seen in a glimpse of distributing raincoats in the evening at Lokhandwala, Andheri on 7th July 2019. The distributions happened on a large scale witnessing a massive assembly of people waiting in lines to get the raincoats. The monsoon fall in Mumbai has risen over time, and most people have had issues since they do not have a protective cover shielding them through the rains. Radhe Maa Ji has always stood on the edge to help mankind in whatever way possible. She witnessed this plight of people, underprivileged and poor to get the need for raincoats fulfilled. Hence, she took it upon herself to get on the roads and make her valuable contributions to help them relief of their this problem. People thanked her and took her blessings. No wonder, she is rightly called an ocean of kindness. Time and again she has proved this through all her gestures and acts of generosity.

Saturday, June 29, 2019

Shri Radhe Maa makes a Donation to the Siddhivinayak Temple Trust





Shri Radhe Maa makes a Donation to the Siddhivinayak Temple Trust

and took blessings of Lord Ganesha


Shri Radhe Maa makes a Donation to the Siddhivinayak Temple Trust





Shri Radhe Maa makes a Donation to the Siddhivinayak Temple Trust

and took blessings of Lord Ganesha


Thursday, June 27, 2019

Shri Radhe Maa Supports Educational Needs Of The Underprivileged Children.

Education is one of the important aspects of achieving success in life. It is important for the personal, social and economic development of a person which brings happiness and prosperity to their life. It empowers minds that will be able to conceive good thoughts and ideas. Education enables students to do the analysis while making life decisions.


Many organizations have come up with initiatives for promoting the education and welfare of people. One of these organizations is the Shri Radhe Guru Maa Charitable Trust who have been working for 27 years towards the betterment of society.


At the core of the organization is the individual who believes in personal responsibility for the moral transformation of the society through generous love and service. Shri Radhe Maa has been continuously organizing many donation camps and support initiatives for underprivileged people.





Radhe Maa’s vision is to break the vicious cycle of poverty and social isolation and to restore hope for a better future. She has set up many donation camps where underprivileged people are given free food, clothes, books, stationery, etc. Radhe Maa firmly believes that every individual should get an opportunity to reconstruct their future.





Recently, she organized an educational donation drive where kids were given free books, bags, and food to the children. She personally handed over the bags andbooks to the children. Radhe Maa also blessed the children and wished them all the best for their future. Once the donation was completed, Shri Radhe Maa also made arrangements for refreshments for the children. The kids were enjoying and playing with Radhe Maa. Radhe Maa says “God gives us an opportunity to serve him by serving humanity”. 


For medical and educational help, we are a helping hand. For more information, visit us at www.radhemaa.com or contact Nandi Babaji on- 9820969020

Tuesday, June 25, 2019

Tadpatri Distribution - Shri Radhe Maa

Sunday, 23/06/2019.

Shri Radhe Guru Maa Charitable trust took the initiative to distribute Tadpatri to the needy and differently abled people at National Relief and Welfare Society for the Blind, Malad (west).







Shri Radhe Maa Ji has been serving mankind for 27 years now. She has indulged herself in various activities like free food distribution, Blanket donation, Sadhu Bhoj, Kambal Daan, Financial Help, Educational help, Marriage help, Sewing machine donation, Fan Donation, Bag Donation, Folding bed donation, School Bag Donation, and much more.

Shri Radhe Maa Ji believes in giving. Shri Radhe Maa urges her devotees to honor all who devote their lives to God.

Mamtamayi Shri Radhe Maa is truly an Ocean Of Kindness.

Below are the images of seva done by Shri Radhe Maa Charitable Trust.

For medical and educational help, we are a helping hand. For more information visit us at www.radhemaa.com or contact sevadaar Nandi Babaji on 9820969020


Wednesday, June 12, 2019

रामायण भाग 1 | Ram Katha | Ramayan-Story of Shri Ram | Shri Radhe Maa



रामायण भाग 1 |  Ram Katha | Ramayan-Story of Shri Ram | Shri Radhe Maa

श्री राम कथा - ममतामयी श्री राधे माँ जी की असीम कृपा से अनंत आचार्यजी महाराज द्वारा प्रस्तुत ।
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Saturday, June 8, 2019

Bag Donation For Unprivileged Children In Bhopal- Shri Radhe Maa


India is a country with a population of more than 1.3 billion and only and one-third of them can read. Rapidly growing population, shortages of teachers, books, and basic facilities, and insufficient public funds to cover education costs are some of the nation’s toughest challenges. Education is an important aspect of life for achieving success in life. Education is important to live with happiness & prosperity and also empowers minds to be able to conceive good thoughts and ideas. The Underprivileged children of India need our help as living under above mentioned circumstances, the children got exposed to the harsher realities of life.

Many organizations around the world are working towards helping and protecting the underprivileged. Many have come up with initiatives for promoting education. These type initiatives are launched every day and people around the world are working hard towards making the world a better place. Shri Radhe Guru Maa Charitable Trust is one such organization who have been working for 27 years towards the betterment of underprivileged people. Radhe Maa has inspired countless number of followers in the country and abroad to share what they have with the less fortunate through health camps, and donations of books, medicines and clothes.

Every individual at Shri Radhe Guru Maa Charitable Trust believes in personal responsibility for moral transformation of the society through generous love and service. Shri Radhe Maa continuously organizes numerous donation camps and support initiatives for underprivileged people. Radhe Maa’s vision is to break the vicious cycle of poverty and social isolation and to restore hope for a better future. She has set up many donation camps for underprivileged people where they are given free food, free clothes, free books, etc. Radhe Maa firmly believes that every individual should get every opportunity to study. Her beliefs are the primary reasons which led her to initiate many initiatives and donation camps where kids were given books, bags and food to the children.

Shri Radhe Maa organized a bag donation camp for the underprivileged kids. She personally handed over the bags to the kids. Radhe Maa also blessed the children with blessings and wished them all the best for their future. Children were enjoying and playing with Radhe Maa after which she blesses everyone for their future. Radhe Maa believes “God gives us opportunity to serve him by serving humanity”. Every initiative by Radhe Maa has taken her one step towards her vision of breaking the vicious cycle of poverty and social isolation and to restore hope for a better future.

Radhe-Maa

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For more information visit: www.radhemaa.com