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Friday, March 29, 2019

हनुमान पुराण कथा । Hanuman-puran-katha



हनुमान जी का जन्म त्रेता युग मे अंजना(एक नारी वानर) के पुत्र के रूप मे हुआ था। अंजना असल मे पुन्जिकस्थला नाम की एक अप्सरा थीं, मगर एक शाप के कारण उन्हें नारी वानर के रूप मे धरती पे जन्म लेना पडा। उस शाप का प्रभाव शिव के अन्श को जन्म देने के बाद ही समाप्त होना था। अंजना केसरी की पत्नी थीं। केसरी एक शक्तिशाली वानर थे जिन्होने एक बार एक भयंकर हाथी को मारा था। उस हाथी ने कई बार असहाय साधु-संतों को विभिन्न प्रकार से कष्ट पँहुचाया था। तभी से उनका नाम केसरी पड गया, "केसरी" का अर्थ होता है सिंह। उन्हे "कुंजर सुदान"(हाथी को मारने वाला) के नाम से भी जाना जाता है।


केसरी के संग मे अंजना ने भगवान शिव कि बहुत कठोर तपस्या की जिसके फ़लस्वरूप अंजना ने हनुमान(शिव के अन्श) को जन्म दिया।

जिस समय अंजना शिव की आराधना कर रहीं थीं उसी समय अयोध्या-नरेश दशरथ, पुत्र प्राप्ति के लिये पुत्र कामना यज्ञ करवा रहे थे। फ़लस्वरूप उन्हे एक दिव्य फल प्राप्त हुआ जिसे उनकी रानियों ने बराबर हिस्सों मे बाँटकर ग्रहण किया। इसी के फ़लस्वरूप उन्हे राम, लषन, भरत और शत्रुघन पुत्र रूप मे प्राप्त हुए।

विधि का विधान ही कहेंगे कि उस दिव्य फ़ल का छोटा सा टुकडा एक चील काट के ले गई और उसी वन के ऊपर से उडते हुए(जहाँ अंजना और केसरी तपस्या कर रहे थे) चील के मुँह से वो टुकडा नीचे गिर गया। उस टुकडे को पवन देव ने अपने प्रभाव से याचक बनी हुई अंजना के हाथों मे गिरा दिया। ईश्वर का वरदान समझकर अंजना ने उसे ग्रहण कर लिया जिसके फ़लस्वरूप उन्होंने पुत्र के रूप मे हनुमान को जन्म दिया।

अंजना के पुत्र होने के कारण ही हनुमान जी को अंजनेय नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ होता है 'अंजना द्वारा उत्पन्न'। 

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                                                                                                                                                                                                               Source:https://bit.ly/2Uch1eH

तिरुपति बालाजी मंत्र का महत्त्व | Tirupati-Balaji-mantra-benifits-importance



तिरुपति बालाजी मंत्र

तिरुपति भारत के सबसे प्रसिद्ध तीर्थस्थलों में से एक है. यह आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है. प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में दर्शनार्थी यहां आते हैं. समुद्र तल से 3200 फीट ऊंचाई पर स्थित तिरुमला की पहाड़ियों पर बना श्री वैंकटेश्वर मंदिर यहां का सबसे बड़ा आकर्षण है.

तिरुपति बालाजी मंत्र क्यों पढ़ा जाता है

कई शताब्दी पूर्व बना यह मंदिर दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शिल्प कला का अदभूत उदाहरण हैं. भगवान तिरुपति बालाजी भगवान विष्णु का ही दूसरा रूप है. तिरुपति बालाजी मंत्र से भगवान बालाजी को आभार प्रकट करते हुए श्रद्धांजलि के रूप में पेश किया जाता है. तिरुपति बालाजी मंत्र एक सूत्र या शब्द है जिसका अर्थ है जागरूकता की संवेदनशीलता.

तिरुपति बालाजी मंत्र का महत्व

यह मंत्र संवेदनशीलता के माध्यम से ध्वनि, ताल, स्वर और मुंह के संशोधित आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है. यह मंत्र एक शुद्ध ध्वनि कंपन है जो कि मन को मोह माया और भ्रम से बचाता है. इस जप मंत्र को दोहराने की प्रक्रिया है. यह जप मंत्र प्राण में ऊर्जा भर देता है.

तिरुपति बालाजी मंत्र का भाव

इस मंत्र को दोहराने से एक मानसिक कंपन होती है जो कि जागरूकता के गहरे स्तर का अनुभव करके मन को शांत करता है.मंत्र जप का मूल भाव होता है. जिस देव का मंत्र है उस देव के मनन के लिए सही तरीके धर्मग्रंथों में बताए हैं. शास्त्रों के मुताबिक मंत्रों का जप पूरी श्रद्धा और आस्था से करना चाहिए. साथ ही एकाग्रता और मन का संयम मंत्रों के जप के लिए बहुत जरुरी है

तिरुपति बालाजी मंत्र को सुनने के लाभ

जब इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है तो मन शांत होकर ध्यान मुद्रा में चला जाता है. माना जाता है कि इनके बिना मंत्रों की शक्ति कम हो जाती है और कामना पूर्ति या लक्ष्य प्राप्ति में उनका प्रभाव नहीं होता है. इस मंत्र को पढ़ने से खुशी मिलती है. ये भावनाओं को पवित्र कर शरीर में ऊर्जा का प्रवाह करता है.

तिरुपति बालाजी मंत्र लाभ

ये अलगाव और भय की भावनाओं को कम करता है. ये रचनात्मक प्रक्रिया को बढ़ाता है. ये मंत्र शारीरिक दर्द और अवसाद को मन से दूर भगाता है. ये मंत्र मन को शांत कर अच्छी नींद लाने में मदद करता है. ये भगवान और देवी का स्मरण करवाता है., इस मंत्र को हर रोज सुनने से भावना और कोर आध्यात्मिकता की समृद्धि का अनुभव होता है.

बालाजी मंत्र


तिरुपति बालाजी मंत्र का अर्थ

इस मंत्र का अर्थ है भगवान तिरुपति बालाजी अर्थात भगवान् वेंकटेश्वर को नमस्कार.

पुराणों में मंत्र

पुराणों के अनुसार शब्द "वेंकट" का अर्थ है - "पापों का नाश", वम शब्द संस्कृत का शब्द है जिसका अर्थ है पाना, दूसरे अक्षरो में पापों को काटने की प्रतिरोधक क्षमता की शक्ति.

इच्छा प्राप्ति मंत्र

कुछ विशेष कामना की पूर्ति के लिए विशेष मालाओं से जप करने का भी विधान है. जैसे धन प्राप्ति की इच्छा से मंत्र जप करने के लिए मूंगे की माला, पुत्र पाने की कामना से जप करने पर पुत्रजीव के मनकों की माला और किसी भी तरह की कामना पूर्ति के लिए जप करने पर स्फटिक की माला का उपयोग करें. तिरुपति बालाजी मंत्र को जपने के लिए भी एक विशेष माला का उपयोग किया जाता है.

आइये जाने मां दुर्गा की उत्‍पत्ति की कहानी | Maa-durga-kahani-in-Hindi


हिंदू धर्म में मां दुर्गा की आराधना के लिए विशेष रूप से नवरात्रि का त्‍यौहार मनाया जाता है। इस त्‍यौहार को साल में दो बार मनाया जाता है। मां दुर्गा को कई नामों जैसे- काली, पार्वती, गौरी, सती, महामाया और महिषासुर मर्दिनी के नाम से जाना जाता है। मां दुर्गा के रूप पार्वती को भगवान शिव की अर्धांगनी माना जाता है। मां दुर्गा की उत्‍पत्ति की गाथा कुछ इस प्रकार है: नवरात्री में आरती की थाली ऐसे सजाएं

एक बार की बात है, एक भैंसा दानव था, जिसे महिषासुर के नाम से जाना जाता था, जो बड़ा शक्तिशाली था। वह सभी देवताओं का वध करना चाहता था, ताकि वह संसार में सर्वोच्‍च हो सकें। इससे घबराकर सभी देवता, सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रहम् के पास गए और अपनी बात कही। तब सभी ने सर्वसम्‍मत्ति से अपनी शक्तियों से मिलाकर देवी दुर्गा का सृजन किया।

देवी दुर्गा का सृजन सभी की शक्तियों को मिलाने से ही संभव था ताकि महिषासुर का वध किया जा सकें। मां देवी दुर्गा का स्‍वरूप, बेहद आकर्षक है, उनके मुख में सौम्‍यता और स्‍नेह झलकता है। उनके दस हाथ हैं, जिसमें हर एक में एक विशेष शस्‍त्र है। उन्‍हे हर भगवान और देवता ने कुछ न कुछ अवश्‍य दिया था, भगवान शिव ने त्रिशुल, भगवान विष्‍णु ने चक्र, भगवान वायु ने तीर आदि। देखिये दुर्गा पूजा की बेहतरीन तस्‍वीरे मां के कपड़े और सवारी: मां दुर्गा की सवारी शेर है, जो हिमावंत पर्वत से लाया गया था। इस प्रकार देवी दुर्गा को महिषासुर का वध करने के लिए बनाया गया। बाद में देवी दुर्गा ने महिषासुर को मार डाला। इस स्‍वरूप को आप अक्‍सर तस्‍वीरों और मूर्तियों में देख सकते हैं। महिषासुर को देवी दुर्गा ने अपने शेर और शस्‍त्रों से मार डाला। इस प्रकार मां दुर्गा, आज भी बुरी बाधाओं का वध करने के लिए पूजी जाती हैं। साल में चैत्र माह की नवरात्रि मुख्‍य होती है।

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Thursday, March 28, 2019

Shri Radhe Guru Maa Charitable Trusts Provides Financial Assistance

Shri Radhe Guru Maa Charitable Trusts Provides Financial Assistance To Socially And Economically Underprivileged Patient 


A medical emergency is a cause for tremendous emotional and financial stress for most families, which is exacerbated by escalating hospitalization bills and medical costs. Medical and health insurance do not cover the entire cost of treatment.



Shri Radhe Guru Maa Charitable Trusts provide financial assistance to meet the cost of medical treatment to socially and economically underprivileged patient through a fund arrangement.

Mamtamayi Radhe Maa

Radhe Maa Ocean Of Kindness

Radhe Maa Charity work

Shri Radhe Maa

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About Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness:
Mamtamayi Shri Radhe Guru Maa Ji has lent 27 years of her life in serving mankind. She has helped more than 1000's of families in Mukeria, Punjab and Mumbai. Shri Radhe Maa has made several donations like clothes, food, notebooks, computers, sewing machines, wheelchairs, blind sticks, sanitary machine to the people below the poverty line and the underprivileged. Mamtamayi Shri Radhe Maa has adopted a tribal village in Wada, Maharashtra (and has been serving there for the past 16 years). Solar panels and water pumps have been distributed free of cost. Radhe Maa is an ardent supporter of Beti Bachao Beti Padhao campaign thus she does every bit from her end to provide them with education, dressing, and basic amenities.

Mamtamai Radhe Maa

Mamtamai Shri Radhe Guru Maa

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Wednesday, March 27, 2019

भगवान श्री कृष्ण का संदेश | Shri Krishna Story in Hindi


श्री कृष्ण का पूरा जीवन हमारे लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनके जीवन की हर एक घटना एक महत्वपूर्ण सन्देश देती है, चाहे बचपन की रास लीला हो या गीता का ज्ञान या फिर महाभारत का युद्ध, भगवान श्री कृष्ण के जीवन का हर एक पल मानव जाति के लिए एक शिक्षा है।
यूँ तो महाभारत की पूरी कथा हम सभी जानते हैं और किताबों में काफी पढ़ भी चुके हैं, इसके आलावा टीवी पर भी अक्सर आप लोग महाभारत देख चुके होंगे। महाभारत के युद्ध की एक घटना है जो मुझे बहुत ज्यादा प्रेरित करती है और मुझे उम्मीद है आप लोग भी इसे काफी एन्जॉय करेंगे और हाँ, कहानी को केवल पढ़ के मत छोड़ देना क्यूंकि इससे मिलने वाला सन्देश आपका जीवन बदल सकता है।
श्री कृष्णा और भीष्म पितामह वार्तालाप –
श्री कृष्ण ने अपनी पूरी सेना दुर्योधन को सौंप दी थी और स्वयं पाण्डवों की तरफ से युद्ध का आगाज कर रहे थे। भगवान कृष्ण ने अर्जुन से वादा किया था कि वह युद्ध में हथियार नहीं उठाएँगे और निहत्थे ही पाण्डवों को विजयी बनायेंगे।
युद्ध के नौवें दिन कौरवों के सेनापति भीष्म पितामह में चारों तरफ कहर बरपा रखा था। वो अकेले ही पूरी पांडव सेना पर भारी पड़ रहे थे। भीष्म पितामह अपने वचन और प्रतिज्ञा पर अडिग रहने के लिए जाने जाते थे। उनका मानना था कि जो प्रतिज्ञा उन्होंने की है उसे प्राण देकर भी निभाना है। एक तरफ श्री कृष्ण अपने निहत्थे रहने के वचन से बंधे थे लेकिन वहीं भीष्म पितामह पांडव सेना पर आग उगल रहे थे ऐसा लग रहा था मानो कुछ क्षण में ही भीष्म पांडवों को हरा देंगे।
श्री कृष्ण शांति पूर्वक सब कुछ देख रहे थे वो जानते थे कि अर्जुन भीष्म का मुकाबला नहीं कर सकता। लेकिन उन्होंने अर्जुन से वादा किया था कि वह पांडवों को ही विजयी बनाएंगे। वहीँ महाबलशाली भीष्म पांडवों का तहस नहस करने में लगे थे, यही सोचकर श्री कृष्ण ने भीष्म पितामह को रोकने के लिए रथ का पहिया उठा लिया। लेकिन भीष्म जानते थे कि श्री कृष्ण भगवान हैं इसीलिए उन्होने मुस्कुराते हुए अपने धनुष बाण एक ओर रख दिए और हाथ जोड़कर खड़े हो गए।
भीष्म पितामह – भगवन आपने तो युद्ध में कोई शस्त्र ना उठाने का वादा किया था, और आप तो भगवान हैं आप अपना वादा कैसे तोड़ सकते हैं।
श्री कृष्ण हे भीष्म, आप तो खुद ज्ञानी हैं। आप कभी अपना वचन या प्रतिज्ञा नहीं तोड़ते इसीलिए आपका नाम भीष्म पड़ा। लेकिन शायद आप नहीं जानते कि धर्म और सत्य की रक्षा करना, आपकी प्रतिज्ञा से ज्यादा बढ़कर है। आप अपनी प्रतिज्ञा और वचन पर अटल हैं लेकिन अपनी प्रतिज्ञा निभाने के चक्कर में अधर्म का साथ दे रहे हैं। याद रहे, जब जब दुनियाँ में धर्म का नाश होगा तब तब मैं इस धरती पर अधर्म का नाश करने अवतरित होता रहूँगा। तुम एक इंसान होकर अपनी प्रतिज्ञा नहीं तोड़ पाये और अधर्म का साथ दे रहे हो लेकिन मैं भगवान होकर भी धर्म की रक्षा के लिए अपनी प्रतिज्ञा तोड़ रहा हूँ। अगर मेरी किसी प्रतिज्ञा या वचन की वजह से धर्म और सत्य पर कोई आंच आती है तो मेरे लिए वो प्रतिज्ञा कोई मायने नहीं रखती है और मैं धर्म के लिए ऐसी हजारों प्रतिज्ञा तोड़ने के लिए तैयार हूँ। अगर आपके सामने धर्म का नाश हो रहा हो और आप कुछ नहीं कर रहे तो भी आप पाप के भागी हैं|
श्री कृष्ण का ये सन्देश दिल पर बहुत गहरी छाप छोड़ता है। दोस्तों सत्य की रक्षा हमारे हर स्वार्थ, हर वचन और हर मज़बूरी से बढ़ कर है यही इस कहानी की शिक्षा है। – जय श्री कृष्णा
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Source:https://bit.ly/2Wt9cPc

Tuesday, March 26, 2019

Radhe Maa: Latest News, Images and Updates on Mamtamai Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness

3 March 2019, New Delhi- Mamtamai Shri Radhe Maa celebrated her birthday with more than 7,000 handicapped (divyang) people at Japanese Park, Rohini, Sector 10, Delhi. These people were benefitted from the free-necessities- drive conducted on an auspicious day. The allocation of various tools and equipment began at 9 am sharp witnessing a massive number of people marking their presence.

Mamtamai Shri Radhe Maa
Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness

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Shri Radhe Maa Distributing Sewing Machine

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Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness
The event was conducted in a systematic manner which helped in easy movement and distribution of things to the ones who had come.  Specks, wheelchairs, hearing aids, flour drums, sewing machines, ECG machines, folding beds, BP machines, glasses for visually impaired, tri-cycles, gas stove, pressure cooker, roof fan and much more was given in free to the handicapped people by Shri Radhe Maa Ji herself. Along with these things, food grains were also distributed among the people. 

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Shri Radhe Maa Distributing School Bags

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Shri Radhe Maa Distributing Gas Stove

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Shri Radhe Maa 
Shri Radhe Maa Charitable Society had also organized Langar Seva (Free Food) for one and all. Simultaneously 15-25 different camps for blood donation were functioning actively. Radhe Maa Ji said, “Sabse Badi Seva Manav Seva Hoti Hai.” She always wishes to celebrate her birthday by serving people and that is what she did wholeheartedly this year on 3rd March 2019.  

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Shri Radhe Maa Distributing Food Packets

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Shri Radhe Maa Distributing Steel Drums

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About Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness:

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Mamtamai Shri Radhe Guru Maa
Shri Radhe Maa Ocean Of Kindness

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Monday, March 25, 2019

शिव पुराण कथा के लाभ और महत्व | shiv-puran-importance-benifits




शिव पुराण क्या है?

'शिव पुराण' का सम्बन्ध शैव मत से है। शिव पुराण में भगवान शंकर के बारे में विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। शिवमहापुराण में भगवान शिव और देवी पार्वती के बारे में और उनकी गाथा का विवरण पूर्ण रूप से दिया गया है।

शिव पुराण में शिव की महिमा

शिवपुराण में शिव के कल्याणकारी स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा और उपासना का विस्तृत वर्णन है। इसमें इन्हें पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्वर के रूप में स्वीकार किया गया है। शिव-महिमा के अतिरिक्त इसमें पूजा-पद्धति, अनेक ज्ञानप्रद आख्यान और शिक्षाप्रद कथाओं का सुन्दर संयोजन और भगवान शिव के भव्यतम व्यक्तित्व का गुणगान है।

शिव पुराण सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण

शिव - जो स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता है, विश्व चेतना हैं और ब्रह्माण्डीय अस्तित्व के आधार हैं। सभी पुराणों में शिव पुराण को सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है। इसमें भगवान शिव के विविध रूपों, अवतारों, ज्योतिर्लिंगों, भक्तों और भक्ति का विशद् वर्णन किया गया है।

शिव पुराण में खास

इस पुराण में प्रमुख रूप से शिव-भक्ति और शिव-महिमा का प्रचार-प्रसार किया गया है। प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य तथा करुणा की मूर्ति बताया गया है। किन्तु 'शिव पुराण' में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।

शिव पुराण में श्लोक और स्कंध-

इसमें भगवान शिव और देवी पार्वती की गाथा का पूर्ण विवरण है जो कुल 12 स्कंध भागों में बंटा हुआ है। शिवपुराण के हर स्कंध में शिव के अलग-अलग रूपों और उसकी माहिमा आदि का वर्णन है। इस पुराण में 2 4 ,000 श्लोक है तथा इसके क्रमश: 6 खण्ड हैं - 1. विद्येश्वर संहिताच; 2. रुद्र संहिता; 3. कोटिरुद्र संहिता; 4. उमा संहिता; 5. कैलास संहिता; 6. वायु संहिता।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

1. शिवपुराण के पहले स्कंध में शिवपुराण की महिमा का वर्णन है। 2.शिवपुराण के दूसरे स्कंध में शिवलिंग की पूजा और उसके प्रकार का वर्णन है जिससे विद्येश्वर संहिता नाम से जाना जाता है। 3. शिवपुराण के तीसरे स्कंध के पार्वती खंड में शिव-पार्वती की कथा का वर्णन है। 4. शिवपुराण के चौथे स्कंध कुमार खंड में कार्तिकेय भगवान की कथा का वर्णन है।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

5. शिवपुराण के पांचवे स्कंध युद्ध खंड में शिव जी द्वारा त्रिपुरासुर वध की कथा का वर्णन है। 6. शिवपुराण के छठे स्कंध शतरुद्रसंहिता में शिव के अवतारों और शिव की मूर्तियों का वर्णन है। 7. शिवपुराण के सातवें स्कंध कोटि रुद्र संहिता में द्वादश ज्योतिर्लिंग और शिव सहस्त्रनाम का वर्णन है।

6 खण्ड शिवपुराण के 10 स्कन्द और उनका वर्णन

8. शिवपुराण के आठवे स्कंध उमा संहिता में मृत्यु और नरकों और क्रियायोग का वर्णन है। 9. शिवपुराण के नवें स्कंध वायवीय संहिता पूर्व खंड में शिव के अर्धनारीश्वर स्वरुप का वर्णन है। 10. शिवपुराण के दसवे स्कंध वायवीय संहिता के उत्तरखंड में शिव धर्म और शिव-शिवा की विभूतियों का वर्णन है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

पृथ्वी पर हर व्यक्ति किसी भी काम को करने से पहले उसके लाभ और हानि के बारे में सोचता है। हर व्यक्ति कार्य को करने से प्राप्त लक्ष्य के बारे में सोचकर तभी कार्य करता है। शिवपुराण के आरंभ में पुराण विशेष की महिमा और उसके पढ़ने की विधि के बारे में जानकारी दी गयी है। आईये हम आपको यह बतायेंगे कि शिव पुराण को पढ़ने से क्या लाभ होता है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ता है उससे भोग और मोक्ष दोनों की प्राप्ति होती है। - अगर किसी व्यक्ति से अनजाने या जान-बूझकर कोई पाप हो जाए तो तो अगर वो शिवपुराण को पड़ने लगता है तो उसका घोर से घोर पाप से छुटकारा मिल जाता है।

शिव पुराण को पढ़ने का क्या लाभ मिलता है?

- जो व्यक्ति शिवपुराण को पढ़ने लगते है उनके मृत्यु के बाद शिव के गण लेने आते हैं। - सावन में शिव पुराण का पाठ करने से उसका फल बहुत ही सुखदायी होता है।

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                                                                                                                                                                                                              Source:https://bit.ly/2JFafK8

Friday, March 22, 2019

जब अपनी ही पुत्री सरस्वती से ब्रह्मा जी ने किया जबरन विवाह | Brahma-married-his-own-daughter-saraswati



विद्या और कला की देवी सरस्वती को पवित्रता और उर्वरता की देवी मन गया है और कहते हैं जिसके ऊपर सरस्वती का आशीर्वाद होता है उसका जीवन सदैव के लिए प्रकाशमय हो जाता है। लेकिन ऐसी कौन सी वजह थी जो इनके ऊपर स्वयं इनके पिता ने कुदृष्टि डाली थी। आइए जानते हैं इस कहानी के पीछे का रहस्य।

किसकी पुत्री थी देवी सरस्वती? हमारे सृष्टि की रचना करने वाले ब्रह्मदेव माता सरस्वती के पिता थे। सरस्वती पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्मदेव ने सृष्टि का निर्माण करने के बाद अपने वीर्य से सरस्वती जी को जन्म दिया था। इनकी कोई माता नहीं है इसलिए यह ब्रह्मा जी की पुत्री के रूप में जानी जाती थी। वहीं मत्स्य पुराण के अनुसार ब्रह्मा के पांच सिर थे। जब उन्होंने सृष्टि की रचना की तो वह इस समस्त ब्रह्मांड में बिलकुल अकेले थे। ऐसे में उन्होंने अपने मुख से सरस्वती, सान्ध्य, ब्राह्मी को उत्पन्न किया।

अपनी ही पुत्री से ब्रह्मदेव हुए आकर्षित कहते हैं देवी सरस्वती इतनी रूपवन्ती थी की स्वयं ब्रह्मा जी उनके सुन्दर रूप से आकर्षित हो गए थे और उनसे विवाह करना चाहते थे। किन्तु जब माता को इस बात की भनक लगी तो वह ब्रह्मा जी से बचने के लिए चारों दिशाओं में छुपने लगीं। लेकिन उनके सारे प्रयत्न विफल हुए। अंत में उन्होंने हार मान ली और उन्हें ब्रह्मा जी के साथ विवाह करना पड़ा। माना जाता है कि ब्रह्मा जी और देवी सरस्वती पूरे सौ वर्षों तक एक जंगल में पति पत्नी की तरह रहे वहां इनके पुत्र स्वयंभु मनु का भी जन्म हुआ। मतस्य पुराण की एक कथा के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती पर कुदृष्टि डाली थी तब वह इनसे बचने के लिए आकाश में जा कर छुप गई थी। तब ब्रह्मा जी के पांचवे सिर ने उन्हें ढूंढ निकाला, इसके बाद ब्रह्मदेव ने देवी सरस्वती से सृष्टि की रचना में सहयोग करने के लिए कहा।

तब इनके पुत्र मनु का जन्म हुआ जिसे पृथ्वी पर जन्म लेने वाला पहला मानव कहा जाता है। इसके अलावा मनु को वेदों, सनातन धर्म और संस्कृत समेत समस्त भाषाओं का जनक भी कहा जाता है।

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हनुमानजी की जन्म कथा - Story of Lord Hanuman's birth


महावीर हनुमान को भगवान शिव का 11वां रूद्र अवतार कहा जाता है और वे प्रभु श्री राम के अनन्य भक्त हैं। हनुमान जी ने वानर जाति में जन्म लिया। उनकी माता का नाम अंजना (अंजनी) और उनके पिता वानरराज केशरी हैं। इसी कारण इन्हें आंजनाय और केसरीनंदन आदि नामों से पुकारा जाता है। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते हैं।

हनुमान जी के जन्म के पीछे पवन देव का भी योगदान था। एक बार अयोध्या के राजा दशरथ अपनी पत्नियों के साथ पुत्रेष्टि हवन कर रहे थे। यह हवन पुत्र प्राप्ति के लिए किया जा रहा था। हवन समाप्ति के बाद गुरुदेव ने प्रसाद की खीर तीनों रानियों में थोड़ी थोड़ी बांट दी।

खीर का एक भाग एक कौआ अपने साथ एक जगह ले गया जहा अंजनी मां तपस्या कर रही थी। यह सब भगवान शिव और वायु देव के इच्छा अनुसार हो रहा था। तपस्या करती अंजना के हाथ में जब खीर आई तो उन्होंने उसे शिवजी का प्रसाद समझ कर ग्रहण कर लिया। इसी प्रसाद की वजह से हनुमान का जन्म हुआ।

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लक्ष्मी जी की कहानी – Laxmi ji ki kahani


एक साहूकार की एक बेटी थी। वह रोजाना पीपल के पेड़ में पानी डालने जाती थी। पीपल के पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने प्रकट होकर उससे कहा तू मेरी सहेली बन जा।
वह लड़की माता पिता की आज्ञाकारी थी। उसने कहा यदि मेरे मेरे माता पिता आज्ञा दे देंगे तो मै आपकी सहेली बन जाउंगी। उसके माता पिता ने उसे आज्ञा दे दी। दोनों सहेली बन गई।
एक दिन लक्ष्मी जी ने उसे खाना खाने के लिए निमंत्रण दिया। माता पिता की आज्ञा लेकर वह लक्ष्मी जी के यहाँ जीमने चली गई।
लक्ष्मी जी ने उसे शाल दुशाला भेंट किया , रूपये दिए। उसे सोने से बनी चौकी पर बैठाया। सोने की थाली , कटोरी में छत्तीस प्रकार के व्यंजन परोस कर खाना खिलाया।
जब वह अपने घर के लिए रवाना होने लगी तो लक्ष्मी जी ने कहा मैं भी तुम्हारे यहाँ जीमने आऊँगी। उसने कहा ठीक है , जरूर आना।
घर आने के बाद वह उदास होकर कुछ सोच में पड़ गई । पिता ने पूछा सहेली के यहाँ जीम कर आई तो उदास क्यों हो। उसने अपने पिता को कहा लक्ष्मीजी ने उसे बहुत कुछ दिया अब वो हमारे यहाँ आएगी तो मैं उसे कैसे जिमाउंगी ,अपने घर में तो कुछ भी नहीं है।
पिता ने कहा तू चिंता मत कर। बस तुम घर की साफ सफाई अच्छे से करके लक्ष्मी जी के सामने एक चौमुखा दिया जला कर रख देना। सब ठीक होगा।
वह दिया लेकर बैठी थी। एक चील रानी का नौलखा हार पंजे में दबाकर उड़ती हुई जा रही थी। उसके पंजे से वह हार छूटकर लड़की के पास आकर गिरा। लड़की हार को देखने लगी। उसने अपने पिता को वह हार दिखाया।
बाहर शोर हो रहा था की एक चील रानी का नौलखा हार उड़ा ले गई है। किसी को मिले तो लौटा दे। एक बार तो दोनों के मन विचार आया की इसे बेचकर लक्ष्मी जी के स्वागत का प्रबंध हो सकता है।
लेकिन अच्छे संस्कारों की वजह से पिता ने लड़की को कहा यह हार हम रानी को लौटा देंगे। लक्ष्मी जी के स्वागत के लिए धन तो नहीं पर हम पूरा मान सम्मान देंगे।
उन्होंने हार राजा को दिया तो राजा ने खुश होकर कहा जो चाहो मांग लो। साहूकार ने राजा से कहा की बेटी की  सहेली के स्वागत के लिए शाल दुशाला , सोने की चौकी , सोने की थाली कटोरी और छत्तीस प्रकार के व्यंजन की व्यवस्था करवा दीजिये। राजा ने तुरंत ऐसी व्यवस्था करवा दी।
लड़की ने गणेश और लक्ष्मी जी दोनों को बुलाया। लक्ष्मी जी को सोने की चौकी पर बैठने को कहा। लक्ष्मी जी ने कहा की मैं तो किसी राजा महाराजा की चौकी पर भी नहीं बैठती। लड़की ने कहा मुझे सहेली बनाया है तो मेरे यहाँ तो बैठना पड़ेगा।
गणेश और लक्ष्मी जी दोनों चौकी पर बैठ गए। लड़की ने बहुत आदर सत्कार के साथ और प्रेम पूर्वक भोजन करवाया। लक्ष्मी जी बड़ी प्रसन्न हुई। लक्ष्मी जी ने जब विदा मांगी तो लड़की ने कहा अभी रुको मैं लौट कर आऊं तब जाना ,और चली गई।
लक्ष्मी जी चौकी पर बैठी इंतजार करती रही। लक्ष्मी जी के वहाँ होने से घर में धन धान्य का भंडार भर गया। इस प्रकार साहूकार और उसकी बेटी बहुत धनवान हो गए।
हे लक्ष्मी माँ।  जिस प्रकार आपने साहूकार की बेटी का आतिथ्य स्वीकार करके भोजन किया और उसे धनवान बनाया। उसी प्रकार हमारा भी आमंत्रण स्वीकार करके हमारे घर पधारें और हमें धन धान्य से परिपूर्ण करें।
जय लक्ष्मी माँ , तेरी कृपा हो , तेरी जय हो।
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Wednesday, March 20, 2019

Free Wheelchair And Necessary Means Distribution By Radhe Maa An Ocean Of Kindness

3 March 2019, New Delhi- Shri Radhe Maa an ocean of kindness celebrated her birthday with more than 7,000 handicapped (divyang) people at Japanese Park, Rohini, Sector 10, Delhi. These people were benefitted from the free-necessities- drive conducted on an auspicious day. The allocation of various tools and equipment began at 9 am sharp witnessing a massive number of people marking their presence.

The event was conducted in a systematic manner which helped in easy movement and distribution of things to the ones who had come.   Specks, wheelchairs, hearing aids, flour drums, sewing machines, ECG machines, folding beds, BP machines, glasses for visually impaired, tri-cycles, gas stove, pressure cooker, roof fan and much more was given in free to the handicapped people by Shri Radhe Maa Ji herself. Along with these things, food grains were also distributed among the people.

Shri Radhe Maa Charitable Society had also organized Langar Seva (Free Food) for one and all. Simultaneously 15-25 different camps for blood donation were functioning actively.

Radhe Maa an ocean of kindness said, “Sabse Badi Seva Manav Seva Hoti Hai.” She always wishes to celebrate her birthday by serving people and that is what she did wholeheartedly this year on 3rd March 2019.

Radhe Maa Ocean Of Kindness
Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

Radhe Maa Ocean Of Kindness
Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

Radhe Maa Ocean Of Kindness
Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

Radhe Maa Ocean Of Kindness
Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

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Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

Radhe Maa Ocean Of Kindness
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Radhe Maa
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Radhe Maa
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Radhe Maa
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Radhe Maa
Shri Radhe Maa An Ocean Of Kindness

About Shri Radhe Maa:
Shri Radhe Maa Ji has lent 27 years of her life in serving mankind. She has helped more than 1000's of families in Mukeria, Punjab and Mumbai. She has made several donations like clothes, food, notebooks, computers, sewing machines, wheelchairs, blind sticks, sanitary machine to the people below the poverty line and the underprivileged. She has adopted a tribal village in Wada, Maharashtra (and has been serving there for the past 16 years). Solar panels and water pumps have been distributed free of cost. Radhe Maa is an ardent supporter of Beti Bachao Beti Padhao campaign thus she does every bit from her end to provide them with education, dressing, and basic amenities.

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