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Monday, November 14, 2011

Sunday, November 6, 2011

'Shri Radhe Maa ji' Naina Devi Yatra - Shobha Yatra details


                                 
Shri Radhe Maa
 
नानक नाम चढ़दी कला, तेरे बहाने सर्ब्हत दा भला 

बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) की महारानी चंपा द्वारा सिक्खों के नवम गुरु श्री गुरु तेग बहादुर जी को यह भूमि खंड उपहार स्वरुप मिला और इस सुन्दर मनमोहक,दिव्य और अरदासपूरक तीर्थ स्थल का निर्माण हुआ  सिक्ख धर्म के पावन स्थल श्री आनंदपुर साहेब जी की स्थापना सन १६६५ में सच्चे बादशाह श्री गुरु तेग बहादुर जी द्वारा प्राचीन मखोवाल महल के समीप की गयी थी ,इस पवित्र तीर्थ स्थान को कभी छक नानकी भी कहा जाता था ! हिमालय की श्रंखलाओं के सुन्दर नज़ारे इस गुरुओं की पावन भूमि को और अधिक दर्शनीय तथा रमणीय बना देती हैं ! आनंदपुर साहिब जी के उत्तरी भाग से हिन्दुओं के पावन धार्मिक स्थल माँ नैना देवी जी के मंदिर के भी दर्शन किये जा सकते हैं !

ममतामयी श्री राधे माँ जी ने १ नवम्बर को सिक्खों के पूजनीय पवित्र तीर्थ स्थल श्री आनंदपुर साहिब जी के दर्शन किये, साथियों आपके ज्ञानवर्धन हेतु सूचित कर दें की कृपालु श्री राधे माँ जी को गुरबानी का पाठ ,शब्द कीर्तन आदि अति प्रिय हैं ,इसलिए देवी माँ जी का अधिकतम समय गुरबाणी सुनने में भी व्यतीत होता है! 
अति आकर्षक और मनमोहक ढंग से करुणामयी श्री राधे माँ जी के स्वागत की तय्यरियाँ की गयीं थीं, बड़े ही सहज , निर्मल और विनम्र भाव से श्री राधे माँ जी ने इस पावन धर्मस्थल के दर्शन किये और अपने संग आई सांगत का भी कल्याण किया ! देवी माँ जी धर्म,सम्प्रदाए ,जात पात के भेद भाव को महत्त्व ना दे कर सर्व धर्म समान एवं सर्व धर्म सम्मान में विश्वास रखती हैं, आपको याद होगा की पिछले वर्ष जब देवी माँ जी राजस्थान के दौरे पर थीं तब उन्होंने खाटू श्याम जी ,पुष्कर जी ,सालासर हनुमान जी संग अजमेर शरीफ की पाक दरगाह के दर्शन कर एक उदाहरण साबित किया था !

इसके पश्चात तकरीबन ४ बजे ममतामयी श्री राधे माँ जी ने  हिमाचल स्थित माँ नैना देवी जी के दर्शन के लिए प्रस्थान  किया ! नैना देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश  के बिलासपुर जिले में है। यह शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियो पर स्थित एक भव्य मंदिर है! नैना देवी मंदिर शक्ति पीठ मंदिरों मे से एक है। पूरे भारतवर्ष मे कुल 51 शक्तिपीठ है। जिन सभी की उत्पत्ति कथा एक ही है। यह सभी मंदिर शिव और शक्ति से जुड़े हुऐ है। धार्मिक ग्रंधो के अनुसार इन सभी स्थलो पर देवी के अंग गिरे थे। शिव जी  के ससुर राजा दक्ष ने यज्ञ का आयोजन किया जिसमे उन्होंने शिव और सती को आमंत्रित नही किया क्योंकि वह शिव जी  को अपने बराबर का नही समझते थे। यह बात सती को काफी बुरी लगी और वह बिना बुलाए यज्ञ में पहुंच गयी। यज्ञ स्‍थल पर शिव जी का काफी अपमान किया गया जिसे सती सहन न कर सकी और वह हवन कुण्ड में कुद गयीं। जब भगवान शंकर को यह बात पता चली तो वह आये और सती के शरीर को हवन कुण्ड से निकाल कर तांडव करने लगे। जिस कारण सारे ब्रह्माण्ड में हाहाकार मच गया। पूरे ब्रह्माण्ड को इस संकट से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागो में बांट दिया जो अंग जहां पर गिरा वह शक्ति पीठ बन गया। मान्यता है कि नैना देवी मे माता सती नयन गिरे थे।

यहाँ पर भी देवी माँ जी के भक्तों ने पहले से ही उनके भव्य स्वागत की सुन्दर व्यवस्था की हुई थी,ढोल,नगाड़े, माँ के जैकारों और जयघोष से कृपालु श्री राधे माँ जी के दिव्य तेज और आभा मानो और प्रभावी हो गयी तथा उनके दुर्लभ दर्शनों से सांगत भी निहाल हो गयी |
 ६ नवम्बर २०११ को जालंधर (पंजाब) में करुनामई श्री राधे माँ जी के पावन सानिध्य में एक विशाल 'शोभा यात्रा' का आयोजन किया गया , जिसमे पंजाब की कई गणमान्य हस्तियों ,अनेक प्रतिष्ठित परिवार और विश्व भर से आये श्री राधे माँ जी के भक्तों ने बढचढ के भाग लिया और संग ममतामयी श्री राधे माँ जी के दिव्य,आनंदमयी एवं सुखकारी  दर्शन लेकर खुद को अक्षय पुन्य का भागी बनाया !

ममतामयी श्री राधे माँ जी सदा अपने भक्तों पर कृपामृत की वर्षा करती रहें ,ऐसी शुभकामना करते हैं! 

|| जय माता दी ||
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Thursday, November 3, 2011

Wednesday, November 2, 2011